पुरुषों में सेक्स समस्याएं: कारण, लक्षण और इलाज की पूरी जानकारी

पुरुषों में सेक्स समस्याएं जैसे लिंग का ढीलापन, सेक्स ना करने की इच्छा, जल्दी वीर्यपात या सेक्स के दौरान दर्द आम हैं। इनका कारण शारीरिक कमजोरी, मानसिक तनाव, हार्मोनल असंतुलन या जीवनशैली से जुड़ी आदतें हो सकती हैं। सही जांच और इलाज से इन समस्याओं का समाधान संभव है। दवाएं, थेरेपी और हेल्दी लाइफस्टाइल बदलाव इसमें मदद कर सकते हैं। पूरी जानकारी और समाधान के लिए यह लेख जरूर पढ़ें।
सेक्स को लेकर बहुत सारे पुरुष सवालों और उलझनों से जूझते हैं, लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि ज़्यादातर लोग इन परेशानियों पर खुलकर बात नहीं कर पाते। शर्म, झिझक, संकोच या जानकारी की कमी की वजह से वे या तो इसे टाल देते हैं, या चुपचाप सहते रहते हैं।
सेक्सुअल डिसफंक्शन यानी यौन परेशानी अलग-अलग तरीकों से सामने आ सकती है, कभी सेक्स की इच्छा कम हो जाती है, कभी लिंग में इरेक्शन नहीं आता, कभी बहुत जल्दी स्खलन हो जाता है या फिर कभी ऑर्गेज्म का अनुभव ही नहीं हो पाता। ऐसी परेशानियां सिर्फ शारीरिक नहीं होतीं, ये आत्मविश्वास को भी हिला सकती हैं, रिश्तों में दूरी ला सकती हैं और मानसिक तनाव का कारण बन सकती हैं।
इस लेख में हम जानेंगे पुरुषों को किस-किस तरह की सेक्स समस्याएं हो सकती हैं, ये क्यों होती हैं, आपको किन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और इनका इलाज कैसे संभव है, जिससे आप खुद की और अपने जानने वालों की मदद कर सकें।
पुरुषों में सेक्स प्रॉब्लम क्या है?
पुरुषों में सेक्सुअल डिसफंक्शन (यौन असमर्थता) ऐसी स्थिति है जब कोई व्यक्ति सेक्स से खुशी महसूस नहीं करता, उसे सेक्स करते समय दर्द होता है या उसकी सेक्स करने की इच्छा ही नहीं होती।
अगर आप भी सेक्स को लेकर रूचि खो चुके हैं, या सेक्स करते समय कोई दिक्कत हो रही है, तो यह सेक्स प्रॉब्लम का इशारा कर सकता है।
भारत में ये समस्याएं कितनी आम हैं?
भारत में पुरुषों की सेक्सुअल हेल्थ पर बात करना अब भी आसान नहीं है। ज़्यादातर लोग इसे या तो मज़ाक में टाल देते हैं या शर्म की बात मानते हैं। लेकिन एक अध्ययन के मुताबिक, हर 10 में से 8 पुरुषों ने किसी न किसी यौन समस्या का अनुभव किया। सबसे ज़्यादा लोगों ने वीर्य से जुड़ी उलझनों की शिकायत की. इसके अलावा, कामेच्छा की कमी (21%), हस्तमैथुन को लेकर अपराधबोध (20.8%), इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (5%) और शीघ्रपतन (4.6%) जैसी समस्याएं भी सामने आईं [1]।
सेक्स के किस स्टेज पर प्रॉब्लम हो सकती है?
सेक्स प्रॉब्लम किसी भी स्टेज में हो सकती है, जैसे:
- इच्छा – जब सेक्स करने का मन ही नहीं करता (Low Libido)
- उत्तेजना – जब मन तो करता है, लेकिन इरेक्शन ही नहीं होता (Erectile Dysfunction)
- स्खलन – वीर्य का समय से पहले, देर से या बिल्कुल न निकलना (Ejaculation Disorders)
- ऑर्गैज़्म – ऑर्गेज़्म न मिलना या दर्द होना (Dry Orgasm, Painful Ejaculation)
हम सबकी सेक्स से जुड़ी ज़रूरतें और अनुभव अलग होते हैं। जरूरी है कि आप अपने शरीर और मन की बात समझें और जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल मदद लेने से न हिचकें।
पुरुषों में कौन-कौन सी सेक्स प्रॉब्लम हो सकती हैं?
1. इरेक्टाइल डिसफंक्शन/स्तंभन दोष/ईडी:
यह पुरुषों की सबसे आम यौन समस्याओं में से एक है इसमें या तो व्यक्ति के लिंग में तनाव आता ही नहीं या फिर वह उस तनाव को बनाए नहीं रख पाता। एक अध्ययन के अनुसार, इरेक्टाइल डिसफंक्शन हर 3 में से 1 पुरुष को प्रभावित करता है, और उम्र बढ़ने के साथ साथ इसके होने की सम्भावना भी बढ़ती जाती है [2]
ईडी के लक्षण:
- कभी-कभी ही लिंग खड़ा हो पाना
- सेक्स के दौरान इरेक्शन बनाए न रख पाना
- बिल्कुल भी इरेक्शन न हो पाना
- इरेक्शन के लिए ज़रूरत से ज़्यादा उत्तेजना लगना
ईडी के कारण:
- खून के बहाव की कमी: हाई बीपी, डायबिटीज़ और दिल की बीमारी से लिंग तक खून ठीक से नहीं पहुंचता जिससे इरेक्शन नहीं बनता या टिकता नहीं।
- नसों की खराबी: स्ट्रोक, पार्किंसन या रीढ़ की चोट के कारण उत्तेजना के सिग्नल लिंग तक नहीं पहुंचते।
- हार्मोन की गड़बड़ी: टेस्टोस्टेरोन की कमी सेक्स की इच्छा और इरेक्शन दोनों को कमजोर करती है।
- सर्जरी या चोट: प्रोस्टेट या पेल्विक सर्जरी से नसें और खून की नलियां प्रभावित हो सकती हैं।
- दवाओं का असर: एंटीडिप्रेसेंट, ब्लड प्रेशर या कैंसर की दवाएं सेक्स ड्राइव को घटा सकती हैं।
- नशा और स्मोकिंग: शराब, सिगरेट और ड्रग्स नसों को नुकसान पहुंचा कर इरेक्शन में रुकावट डालते हैं।
- मानसिक कारण: तनाव, चिंता और आत्मविश्वास की कमी से उत्तेजना कम हो जाती है।
ईडी का इलाज [3]:
- लाइफस्टाइल में बदलाव: नियमित व्यायाम, हेल्दी खाना और नशा छोड़ना ईडी के लक्षणों को काफी हद तक सुधार सकता है
- PDE5 इनहिबिटर्स (जैसे Viagra): ये दवाएं लिंग में खून का बहाव बढ़ाकर इरेक्शन में मदद करती हैं।
- टेस्टोस्टेरोन थेरेपी: हार्मोन की कमी होने पर डॉक्टर टेस्टोस्टेरोन दवा दे सकते हैं।
- काउंसलिंग या सेक्स थेरेपी: जब कारण मानसिक हो, तो थेरेपी तनाव को कम करके इरेक्शन सुधारती है।
- सर्जरी या डिवाइस: गंभीर मामलों में पेनिस इम्प्लांट या वैक्यूम डिवाइस एक अच्छा सलूशन हो सकता है।
2. सेक्स की इच्छा में कमी (Low libido):
जब किसी व्यक्ति की सेक्स में इच्छा कम हो जाती है, तो इसे Low Libido या Low Sex Drive कहा जाता है। यह एक आम समस्या है और जीवन के किसी भी दौर में हो सकती है, कभी-कभी बिना किसी खास कारण के भी। सेक्स की इच्छा समय के साथ घट-बढ़ सकती है, और यह पूरी तरह सामान्य है। लेकिन अगर यह कमी लंबे समय तक बनी रहे या आपके रिश्ते पर असर डालने लगे, तो यह चिंता का कारण बन सकता है।
हालाँकि, “नार्मल” सेक्स ड्राइव की कोई तय परिभाषा नहीं है. हर किसी की सेक्स की इच्छा अलग अलग हो सकती है
लो लिबिडो के लक्षण:
- सेक्स, हस्तमैथुन या किसी भी तरह की यौन गतिविधि में बिल्कुल भी रुचि न होना
- सेक्स के बारे में फैंटेसी या ख्याल बहुत कम या कभी न आना
- पहले की तरह जल्दी उत्तेजित न हो पाना
लो लिबिडो के कारण [4]:
- टेस्टोस्टेरोन की कमी
- डायबिटीज, स्लीप एपनिया (नींद की कमी), थाइरोइड, थकान या दर्द
- तनाव, डिप्रेशन या रिश्तों में परेशानी
- कुछ दवाओं का असर (जैसे एंटीडिप्रेसेंट)
- शराब, सिगरेट या नशा
- उम्र बढ़ना (60+ में आम)
- नींद की कमी या ज्यादा/कम एक्सरसाइज़
- आत्मविश्वास की कमी या पुराने बुरे अनुभव
लो लिबिडो का इलाज:
लो लिबिडो का इलाज इसकी वजह पर निर्भर करता है। टेस्टोस्टेरोन की कमी हो तो हार्मोन थेरेपी दी जा सकती है, दवाएं बदली जा सकती हैं और नशे से बचाव जरूरी है [5]
। घर पर तनाव घटाना, पार्टनर से खुलकर बात करना और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना मदद करता है। अगर आपके पार्टनर के साथ आपके रिश्ते अच्छे नहीं हैं तो काउंसलिंग फायदेमंद होती है।
3. लिंग का लम्बे समय तक खड़े रहना (Prolonged erection):
इसको Priapism भी कहा जाता है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिंग बहुत लंबे समय तक (आमतौर पर 4 घंटे या उससे ज्यादा) खड़ा रहता है, बिना किसी यौन उत्तेजना के, क्योंकि इसमें लिंग में भरा हुआ खून निकल नहीं पाता। यह आमतौर पर बहुत दर्दनाक होता है और एक मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है जिसकी वजह से आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
कारण:
- इरेक्शन की दवाओं का साइड इफेक्ट
- सिकल सेल रोग
- नशे वाले ड्रग्स
- खून में थक्का बनने (clotting) की बीमारियां
- लिंग की नसों में चोट
इलाज:
- इमरजेंसी में दवा या सिरिंज से खून निकाला जाता है
- ज़रूरत पड़ने पर सर्जरी की जाती है.
4. Ejaculation Disorders (स्खलन से जुड़ी समस्याएं):
इनमें पुरुष को सेक्स के दौरान वीर्य निकालने में दिक्कत होती है। इससे रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है।
इसके कई प्रकार हैं, जैसे:
शीघ्रपतन/प्रीमैच्योर इजैक्यूलेशन:
इसमें पुरुष सेक्स के दौरान 1 से 3 मिनट के अंदर ही स्खलित हो जाते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, शीघ्रपतन से 18 से 59 वर्ष के बीच के हर 3 में से 1 पुरुष जूझते हैं [6]। यह भी पुरुषों की सबसे आम यौन समस्याओं में से एक है। लेकिन अगर यह कभी कभार ही आपके साथ हो रहा है, तो इसके लिए आपको चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है।
शीघ्रपतन के कारण:
शीघ्रपतन (PE) आमतौर पर मानसिक कारणों से होता है, जैसे तनाव, आत्मविश्वास की कमी, अपने बैडरूम प्रदर्शन की चिंता या रिश्तों में दिक्कत। कभी-कभी यह ब्रेन में सेरोटोनिन की कमी या उम्र बढ़ने से भी हो सकता है।
इसका इलाज क्या है [6]?
- काउंसलिंग या थेरेपी
- व्यावहारिक तकनीक (जैसे स्टार्ट-स्टॉप, एजिंग)
- सेरोटोनिन बढ़ाने वाली दवाएं
- सुन्न करने वाली क्रीम/स्प्रे
देरी से स्खलन (Delayed Ejaculation):
इसमें पूरी उत्तेजना के बावजूद वीर्य या तो निकल नहीं पाता या बहुत देर से निकलता है।
कारण:
- कुछ दवाएं, शराब या नशा – ये दिमाग और नसों के काम को धीमा कर देते हैं, जिससे स्खलन में परेशानी हो सकती है [7]
- पेल्विक सर्जरी या चोट – जननांग या पेल्विक हिस्से की सर्जरी/चोट से नसें या खून के बहाव पर असर होता है, जिससे स्खलन में दिक्कत आती है [7]।
- हार्मोन गड़बड़ी, नसों की समस्या – टेस्टोस्टेरोन की कमी या नसों को हुआ नुकसान स्खलन को धीमा बना सकता है [7]
- थकान, तनाव, बढ़ती उम्र – मानसिक थकान, तनाव या उम्र बढ़ने से यौन उत्तेजना और स्खलन पर असर पड़ सकता है [7]।
इलाज:
- थेरेपी या काउंसलिंग
- दवा बदलना अगर दवाओं की वजह से समस्या हो रही है तो
- वाइब्रेटर या इलेक्ट्रिक उत्तेजना का उपयोग करना
रेट्रोग्रेड स्खलन (Retrograde Ejaculation):
इसमें स्खलन के समय वीर्य बाहर आने की बजाय पेशाब के साथ अंदर चले जाता है और बाद में पेशाब के साथ कणों में निकलता है, जिसे cloudy urine के नाम से जाना जाता है।
कारण [1]:
- कुछ दवाएं (जैसे एंटीडिप्रेसेंट) नसों के सिग्नल को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे स्खलन में देरी या रुकावट हो सकती है।
- प्रोस्टेट सर्जरी से लिंग की नसें या मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं, जिससे स्खलन पीछे की ओर (retrograde) हो सकता है।
- डायबिटीज़ या मल्टीपल स्क्लेरोसिस लिंग तक जाने वाली नसों को कमजोर कर देती हैं, जिससे स्खलन मुश्किल हो सकता है।
इलाज:
- Sympathomimetic नाम की दवाएं: ये दवाएं पेशाब के मार्ग को संकरा करती हैं ताकि वीर्य मूत्राशय की और जाने के बजाय बाहर निकल सके।
- दवा बंद करने से राहत मिल सकती है: अगर रेट्रोग्रेड स्खलन किसी दवा के कारण हो, तो वह दवा बंद करने पर समस्या ठीक हो सकती है।
- अगर यह समस्या प्रोस्टेट या पेशाब के मार्ग की सर्जरी की वजह से हुई है, तो अक्सर ठीक नहीं होती।
स्खलन न होना (Anejaculation):
इसमें वीर्य बिल्कुल भी नहीं निकलता है। इसे Dry Orgasm भी कहा जाता है
कारण:
- डायबिटीज, संक्रमण, या दवाएं (जैसे एंटीडिप्रेसेंट, बीपी की दवा)
- नसों को नुकसान (सर्जरी, चोट या रेडिएशन के कारण)
- नर्वस सिस्टम रोग (पार्किंसन, MS), रीढ़ की चोट, कैंसर ट्रीटमेंट
- तनाव, डिप्रेशन, रिश्तों में परेशानी
इलाज:
अगर समस्या तनाव, चिंता या रिश्तों की उलझन से जुड़ी है, तो थेरेपी या एंटी-एंग्जायटी दवाएं मदद कर सकती हैं।
अगर डायबिटीज या किसी दवा की वजह से हो रही है, तो डॉक्टर से बात करके दवा बदलना या शुगर कंट्रोल करना फायदेमंद हो सकता है।
हालांकि अगर नसों को नुकसान हुआ हो (जैसे सर्जरी या चोट से), तो इसका इलाज मुश्किल हो सकता है, लेकिन ऐसे में भी डॉक्टर की सलाह से राहत पाने के कुछ तरीके आजमाए जा सकते हैं।
दर्दनाक स्खलन (Painful Ejaculation):
इसमें स्खलन के दौरान या बाद में आप दर्द महसूस कर सकते हैं।
कारण [8 ]:
- प्रोस्टेट की सूजन या इंफेक्शन
- प्रोस्टेट या हर्निया सर्जरी के बाद असर
- नली में पथरी या गांठ
- डिप्रेशन की दवाएं
- नसों को नुकसान (जैसे डायबिटीज, चोट)
इलाज:
- अगर इंफेक्शन की वजह से आपको स्खलन के दौरान दर्द हो रहा हो तो एंटीबायोटिक दवाएं मदद कर सकती हैं.
- दवाओं की वजह से हो तो दवा बदलना फायदेमंद हो सकता है.
- प्रोस्टेट की समस्या हो तो सर्जरी कारगर हो सकती है.
- मानसिक कारण हों तो थेरपी और लाइफस्टाइल में सुधार करके आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं.
- नर्व डैमेज में कारण का इलाज किया जाता है, भले ही डैमेज पूरी तरह ठीक न हो।
- अगर कारण न पता हो तो सेक्स थेरेपी, पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज, दर्द कम करने वाली दवाएं, मसल रिलैक्ज़ेंट्स या एंटीकन्वल्सेंट्स भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
- लिंग में टेढ़ापन (Peyronie Disease)
यह तब होती है जब लिंग में अंदर की स्किन पर चोट लगने के बाद वहां सूजन या जख्म (घाव) बन जाता है। ये चोट अक्सर सेक्स के समय लिंग के मुड़ जाने से लगती है, लेकिन कई बार लोगों को याद भी नहीं रहता कि चोट कब लगी थी। कुछ लोगों के शरीर में छोटी चोटों पर भी ज़्यादा जख्म बन जाते हैं, इसलिए यह हर किसी को नहीं होती, लेकिन कुछ को जल्दी हो सकती है [10]।
कारण:
इसका साफ कारण तो हर बार पता नहीं चलता लेकिन कई डॉक्टर मानते हैं कि यह बीमारी लिंग में चोट लगने से होती है, खासकर जब सेक्स के दौरान लिंग ज्यादा मुड़ जाए। लेकिन हर किसी को लिंग में चोट लगने से Peyronie’s नहीं होता, इसलिए हो सकता है इसमें कुछ आनुवंशिक (genetic) या बाहरी कारण (environmental factors) भी जुड़े हों।
इलाज:
- दवाइयां: कुछ मौखिक दवाएं जैसे विटामिन ई, टैमोक्सीफेन, कोल्चिसीन का असर सीमित है।
- इंजेक्शन थेरेपी: वेरापामिल, इंटरफेरॉन या Collagenase से प्लाक और झुकाव में राहत मिलती है।
- नॉन-सर्जिकल विकल्प: ट्रैक्शन डिवाइस या शॉकवेव थेरेपी जैसे उपाय के लिए अभी रिसर्च चल रही है।
- सर्जरी: बहुत ज्यादा झुकाव या दर्द में लिंग को छोटा/लंबा करने की सर्जरी या प्रोस्थेसिस लगाई जाती है।
सेक्स से जुड़ी परेशानियाँ आम हैं, लेकिन उन्हें नज़रअंदाज़ करना नहीं, समझना और हल ढूंढना ज़रूरी है। अगर आप असहज महसूस कर रहे हैं, तो चुप मत रहिए, मदद लीजिए, बात कीजिए। क्योंकि सही इलाज की शुरुआत समझ और स्वीकार से होती है।
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