सेक्स का समय बढ़ाने के उपाय
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जब बात पार्टनर के साथ सेक्स की होती है, तो कई पुरुषों के मन मे कभी न कभी यह सवाल तो जरूर आया होगा- क्या मैं ज्यादा देर तक टिक पा रहा हूँ या नहीं? ऐसे मामलों में हो सकता है कि आप बस ये चाहते हों कि सेक्स थोड़ा लंबा चले या फिर आपको शीघ्रपतन (प्रीमैच्योर इजेकुलेशन) हो जाता हो, मतलब सेक्स आपकी या आपके पार्टनर की उम्मीद से पहले खत्म हो जाता हो। इस वजह से आपके रिलेशनशिप में शर्म, झिझक या तनाव आना बहुत ही सामान्य बात हो सकती है।
लेकिन सेक्स मे ज्यादा देर टिकने की चाह एकदम नॉर्मल है। कुछ रिसर्च तो बताती हैं कि करीब 30% पुरुषों को ज़िंदगी मे कभी न कभी शीघ्रपतन की समस्या होती है [1], जिसके पीछे का कारण अक्सर तनाव, हॉर्मोनल बदलाव या कुछ मांसपेशियों में नियंत्रण न होना हो सकता है, और ऐसे कारणों को आप बिना दवाइयों के भी ठीक कर सकते हैं। इसके अलावा लिंग का सीधा संबंध खून के बहाव और दिल की सेहत से जुड़ा होता है, जिसका मतलब अगर आपको हाई बीपी की समस्या है या दिल की कोई और बीमारी है तो आपके इरेक्शन और सेक्स के समय दोनों पर असर पड़ेगा।
इस लेख मे हम बात करेंगे उन प्राकृतिक और मेडिकल तरीकों की, जिनको अपनाकर आप अपने सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं।
सेक्स का समय बढ़ाने के व्यवहारिक तरीके
- पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज (कीगल एक्सरसाइज):
ये सेक्स का समय बढ़ाने का सबसे असरदार और आसान तरीका होती हैं। रिसर्च भी बताती है कि कीगल एक्सरसाइज़ से जल्दी स्खलन (प्रीमेच्योर इजेकुलेशन) की समस्या में सुधार होता है। [2]
यही नहीं, सेक्स के दौरान नियंत्रण बेहतर होता है और समय भी धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। ये आपके पेल्विक फ्लोर की वो मांसपेशियां होती हैं जो प्यूबिक बोन से लेकर टेलबोन तक फैली होती हैं और आपके यौन स्वास्थ्य, पेशाब और मल को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। [3]
जब यही मांसपेशियां ढीली, कमज़ोर या ज़्यादा सख़्त हो जाती हैं, तब आपको जल्दी स्खलन जैसी परेशानियां होने लगती हैं।
कीगल एक्सरसाइज में इन्हीं मांसपेशियों को बार बार कसना और फिर ढीला छोड़ना होता है, जैसे आप पेशाब रोकने की कोशिश कर रहे हों। सबसे अच्छी बात कि यह एक्सरसाइज कहीं भी और कभी भी की जा सकती है– बैठे-बैठे, खड़े होकर या लेटे हुए।
- स्टार्ट-स्टॉप तकनीक:
यह तकनीक जल्दी स्खलन को रोकने का एक कारगर तरीका है [4]। इसमें जब आप महसूस करते हैं कि स्खलन बहुत क़रीब है, तो आप:
- सारी यौन उत्तेजना को रोक देते हैं (चाहे हस्तमैथुन हो या सेक्स)।
- शरीर को शांत करते हैं, गहरी साँसें लेते हैं, और स्खलन की भावना को खत्म होने देते हैं।
- फिर दोबारा उत्तेजना शुरू करते हैं।
यह आपके दिमाग और शरीर को उत्तेजना के चरम पर पहुंचने से ठीक पहले रुकना और वापस कंट्रोल में आना सिखाती है। थोड़े अभ्यास के बाद, यह तकनीक न सिर्फ आपके सेक्स टाइम को बढ़ा सकती है, बल्कि ऑर्गैज़्म को और ज़्यादा गहरा भी बना सकती है। और भी अच्छे नतीजे पाने के लिए आप इसे कीगल एक्सरसाइज के साथ कर सकते हैं।
- एजिंग (edging):
एजिंग और स्टार्ट-स्टॉप तकनीक आपस में मिलती-जुलती हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल थोड़ा अलग होता है। दोनों का मकसद ऑर्गैज़म को टालना होता है। एजिंग में बार-बार उत्तेजना दी जाती है और ऑर्गैज़म के करीब पहुंचकर रुक जाते हैं, फिर दोबारा शुरू करते हैं। वहीं स्टार्ट-स्टॉप तकनीक में जैसे ही ऑर्गैज़म का अहसास होने लगता है, तब सेक्सुअल एक्टिविटी को थोड़ी देर के लिए रोक दिया जाता है।
- फोरप्ले को बढ़ाएं
अगर आपको जल्दी स्खलन की परेशानी है, तो ज़रूरी नहीं कि आप हर बार पेनिट्रेशन ही करें। आप फोरप्ले पर ध्यान देकर पेनिट्रेशन के पहले ही किसिंग, टच या क्लिटोरल स्टीम्युलेशन से अपने पार्टनर को ज़्यादा उत्तेजित कर सकते हैं।
एक रिसर्च के अनुसार, सिर्फ 18% महिलाएं ही पेनिट्रेशन से ऑर्गेज्म तक पहुंचती हैं, बाकी महिलाओं को ऑर्गेज्म तक पहुंचने के लिए क्लिटोरल के स्टीम्युलेशन की जरूरत होती है। [5]

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- हस्तमैथुन करें:
सेक्स से पहले हस्तमैथुन करना जल्दी स्खलन से बचने का एक अच्छा तरीका है। जब आप एक बार ऑर्गैज़्म प्राप्त कर लेते हैं, तो शरीर रिफ्रैक्टरी पीरियड (refractory period) में जाता है, जिससे अगली बार स्खलन में ज़्यादा समय लगता है। यह समय हर पुरुष के लिए अलग होता है, किसी के लिए 30 मिनट तो किसी के लिए 1 दिन भी हो सकता है, लेकिन थोड़ी प्रैक्टिस से आप समझ सकते हैं कि आपके लिए क्या काम करता है।
आप चाहें तो लिंग की जड़ पर मसाज भी कर सकते हैं। एक स्टडी के अनुसार, जब लोग लिंग की जड़ पर हल्के सर्कुलर या ऊपर-नीचे मूवमेंट के साथ खुद को उत्तेजित करते हैं, और फिर ठीक स्खलन से पहले रुक जाते हैं, तो पेनिट्रेटिव सेक्स के दौरान स्खलन को देर से होने में मदद मिलती है। [6]
- नियमित रूप से व्यायाम करें:
अगर आप प्राकृतिक तौर पर अपनी सेक्सुअल हेल्थ बेहतर बनाना चाहते हैं, तो कार्डियो एक्सरसाइज एक शानदार और असरदार तरीका है, खासतौर पर पुरुषों के लिए। इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्याएं और हाई बीपी आपस में जुड़े होते हैं, और अच्छी कार्डियो फिटनेस से इनका खतरा कम किया जा सकता है।
नियमित व्यायाम करना आपकी शारीरिक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे आप बेडरूम में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, नियमित कार्डियो एक्सर्साइज़ पुरुषों में आम जल्दी स्खलन से बचाव कर सकता है। [7]
शुरुआत के लिए आपको जिम जाने की ज़रूरत नहीं है, आप हर दिन 7000 से 10,000 कदम चलने का टारगेट रख सकते हैं, या फिर तैराकी, साइकलिंग, या दोस्तों के साथ खेलना भी अच्छा विकल्प है। सबसे जरूरी बात यह है कि आप ऐसी कोई एक्टिविटी चुनें जो आपको पसंद आए, ताकि आप उसे लंबे समय तक जारी रख सके।
- अपने खान-पान पर ध्यान दें:
हमारे शरीर को अच्छे से काम करने के लिए पोषक तत्वों की जरूरत होती है, चाहे वो शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य हो या फिर यौन स्वास्थ्य। सही खानपान से खून का बहाव बेहतर होता है, हार्मोन बैलेंस बना रहता है, और यौन क्षमता में सुधार आता है, जो शीघ्रपतन से लड़ने में कारगर होता है। कुछ आहार जैसे– मेथी, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, अदरक, अंडे, लहसुन, अनार शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाने में मदद करते हैं, जो पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी होता है। [8] लेकिन शरीर में फ्री टेस्टोस्टेरोन के बढ़ने का मतलब ये नहीं होता कि आप बेड पर ज़्यादा देर तक टिक पाएंगे। इसलिए सिर्फ इसी तरीके पर भरोसा करना उतना असरदार नहीं हो सकता, जितना आप सोचें।
और किसी भी सप्लीमेंट, हर्ब या डाइट प्लान को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर बात करें। खासकर अगर आप पहले से कोई दवा ले रहे हैं, तो कुछ चीज़ें उससे रिएक्ट कर सकती हैं, जिसकी जानकारी आपको डॉक्टर ही बेहतर दे सकते हैं
- कंडोम का इस्तेमाल करें:
कंडोम का इस्तेमाल भी शीघ्रपतन को कंट्रोल करने में मददगार हो सकता है, क्योंकि यह पेनिस की सेंसेटिविटी को थोड़ा कम कर देता है। आप डिसेंसिटाइजिंग कंडोम्स (desensitizing condoms) ट्राई कर सकते हैं जो अक्सर मोटे मटीरियल से बने होते हैं या इनमें वही इंग्रेडिएंट्स होते हैं जो डेसेंसिटाइजिंग स्प्रे या क्रीम्स में पाए जाते हैं और ये अस्थायी रूप से नसों की संवेदनशीलता को कम करते हैं। [9] एक और फायदा ये है कि कंडोम न सिर्फ परफॉर्मेंस में मदद करते हैं, बल्कि सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs) और अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाने का भी सबसे भरोसेमंद तरीका माने जाते हैं।
कभी-कभी सेक्स में देरी पाने के लिए छोटे बदलावों की जरूरत होती है, जैसे फोरप्ले को बढ़ाना या सही पोजिशन का चुनाव करना। यह बहुत छोटे लेकिन असरदार उपाय हो सकते हैं।
सेक्स का समय बढ़ाने के लिए क्लीनिकल इलाज और दवाइयाँ:
अगर आप सेक्स का समय बढ़ाने के लिए किसी इलाज या दवा के बारे में सोच रहे हैं, तो कृपया खुद से कोई दवा लेना या इस्तेमाल करना शुरू न करें।
हर व्यक्ति की समस्या का कारण अलग होता है, और गलत इलाज से नुकसान हो सकता है। इसलिए किसी भी दवा या उपाय को अपनाने से पहले क्लीनिकल सेक्सोलॉजिस्ट या योग्य डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है। नीचे बताए गए इलाज उन्हीं लोगों के लिए होते हैं जिन्हें डॉक्टर ने जांच कर के यह सलाह दी हो।
- टॉपिकल नंबिंग एजेंट (टॉपिकल numbing agents): ये स्प्रे, जेल या क्रीम के रूप में मिलते हैं जिनमें लिडोकेन, या बेंजो़केन जैसे नंबिंग एजेंट्स होते हैं। ये सेक्स से 10-15 मिनट पहले लिंग पर लगाए जाते हैं जिससे लिंग की संवेदनशीलता कम हो और स्खलन को देर तक रोका जा सके। [9] हालाँकि इसका असर दोनों पार्टनर के अनुभव पर पड़ सकता है।
- गोलियाँ: कुछ दवाएं, जैसे डिप्रेशन की दवाइयाँ या पेन्किलर्स, शीघ्रपतन में इस्तेमाल की जाती हैं:
- SSRIs: ये दवाईयां ऑर्गेज्म को देर से लाती हैं। इनका असर दिखने में 1–3 हफ्ते लगते हैं। [10]
- ट्रामाडोल (Tramadol): यह स्खलन को देर से लाती हैं, लेकिन इसकी आदत लग सकती है और ये SSRIs के साथ नहीं ली जा सकतीं।
- स्तंभन दोष (ईडी) की दवाएं: ये खून के बहाव को बढ़ाकर मदद करती हैं और SSRIs के साथ मिलकर ज़्यादा असर करती हैं।
लेकिन कोई भी दवाई खुद से लेना शुरू न करें। हर व्यक्ति के कारण अलग होते हैं और अपने से दवा लेने से उसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इसीलिए किसी भी दवा को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है।
सेक्स का समय बढ़ाने के मानसिक उपाय
सेक्स मे ज्यादा देर तक न टिक पाना आपके मन और रिश्ते दोनों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में काउंसलिंग एक असरदार उपाय हो सकता है। इसमें आप किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (जैसे साइकोलॉजिस्ट, सेक्स थैरेपिस्ट या काउंसलर) से बात करते हैं जो आपकी भावनाओं, तनाव और रिश्तों से जुड़ी समस्याओं को समझने में मदद करता है। कॉउन्सलिंग आपकी परफॉर्मेंस एंग्जायटी कम करती है, भावनाओं को संभालना सिखाती है, आप पार्टनर से बेहतर बातचीत कर पाते हैं और दवाओं के साथ असर बढ़ाती है।
