सेक्स एडिक्ट क्या होता है? लक्षण, कारण और इलाज
सेक्स एडिक्शन यानी जब कोई व्यक्ति सेक्स, पोर्न या यौन इच्छाओं में इस हद तक उलझ जाए कि वह खुद को रोक न पाए, चाहे इससे उसकी ज़िंदगी पर कितना भी बुरा असर क्यों न पड़े। इसे हेल्थ प्रोफेशनल हाइपरसेक्सुअल डिसऑर्डर या कंपल्सिव सेक्सुअल बिहेवियर भी कहते हैं। इसके लक्षणों में बार-बार सेक्स की इच्छा, खुद पर कंट्रोल न रहना और अपराधबोध शामिल हैं। यह एक मानसिक और व्यवहारिक समस्या है, जिसका इलाज दवाओं और थेरेपी से संभव है।
अगर आपको लगता है कि सेक्स की इच्छा अब आपके नियंत्रण से बाहर जा रही है, बार-बार पोर्न देखना, हस्तमैथुन करना या सेक्स के बारे में सोचना आपकी दिनचर्या, रिश्तों और मानसिक शांति को प्रभावित कर रहा है तो यह लेख आपके लिए है। इसे आमतौर पर “सेक्स एडिक्शन” या “Sex Addict” कहा जाता है, लेकिन इसके पीछे की वजहें और इसका इलाज उतनी ही गहराई से समझने लायक है जितना किसी भी और मानसिक या व्यवहारिक समस्या का। इस लेख में हम बताएंगे कि सेक्स एडिक्शन क्या होता है, इसके लक्षण, कारण, और इससे बाहर निकलने के वैज्ञानिक और भावनात्मक रास्ते क्या हैं। अगर आप खुद या आपका कोई करीबी इससे जूझ रहा है, तो यह लेख पहला और समझदारी भरा कदम हो सकता है।
सेक्स एडिक्ट का मतलब क्या होता है?
Sex Addict (सेक्स एडिक्ट) ऐसा व्यक्ति होता है जो सेक्स से जुड़ी कल्पनाओं, इच्छाओं या गतिविधियों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देने लगता है। उसकी ये आदत इतनी हद तक बढ़ जाती है कि वो इन पर कंट्रोल नहीं रख पाता, चाहे इससे उसकी सेहत, रिश्ते, करियर या रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर बुरा असर क्यों न पड़ रहा हो। आम बोलचाल में इस स्थिति को सेक्सुअल एडिक्शन कहा जाता है। जबकि हेल्थ प्रोफेशनल इसे कई नामों से जानते हैं, जैसे:
- कंपल्सिव सेक्सुअल बिहेवियर,
- प्रॉब्लमैटिक सेक्सुअल बिहेवियर,
- हाइपरसेक्सुअलिटी डिसऑर्डर,
- सेक्सुअल कम्पल्सिविटी या
- सेक्सुअल इंपल्सिविटी।
आज के समाज में लोग ड्रग्स, शराब, खाने जैसी लतों को तो फिर भी समझते हैं, लेकिन जब बात सेक्स एडिक्ट की आती है तो यह अब भी एक टैबू (वर्जित) विषय बना हुआ है। सेक्स पर खुलकर बात न होने की वजह से इस लत को लोग अक्सर शर्मनाक मानते हैं और इसकी सच्चाई को समझना मुश्किल हो जाता है। एक अमेरिकी शोध के अनुसार, सेक्स एडिक्शन की समस्या लगभग 3-6% जनसंख्या को प्रभावित करती है [1]। UCLA के शोधकर्ताओं ने पाया है कि ऐसी समस्याओं वाले व्यक्तियों में दिमाग की प्रतिक्रियाएं अलग होती हैं।
क्या सेक्स एडिक्शन भी अन्य लतों जैसा ही होता है?
- जी हाँ, सेक्स की चाहत भी उतनी ही तेज और जोरदार हो सकती है जैसी किसी को शराब या ड्रग्स की लत में होती है।
- इंसान को ऐसा लगता है कि वो अपने मन या आदत पर काबू नहीं रख पा रहा है।
- बार-बार सेक्स से जुड़ा कोई न कोई काम करने की मजबूरी महसूस होती है, चाहे उससे सेहत, रिश्ते या जिंदगी को कितना भी नुकसान क्यों न हो।
- ये ऐसी हालत बन जाती है जहां इंसान बार-बार खुद को रोकना चाहता है लेकिन हर बार हार जाता है।
सेक्स एडिक्शन या हाइपरसेक्सुअलिटी क्यों होती है?
अक्सर लोग ये सोचते हैं कि कोई इंसान अपनी मर्जी से सेक्स एडिक्ट बनता है, लेकिन यह सच नहीं है। हालांकि, अभी तक वैज्ञानिक भी यह नहीं समझ पाये हैं कि सेक्स एडिक्शन आखिर क्यों होता है, लेकिन उन्होंने कुछ वजहें बताई हैं जो इसको बढ़ा सकती हैं, जैसे:
- दिमाग के केमिकल्स का असर: हमारे दिमाग में कुछ केमिकल्स होते हैं (जैसे डोपामिन, सेरोटोनिन) जो हमें खुशी या सुकून का अहसास कराते हैं। जब ये केमिकल ज़रूरत से ज्यादा बनने लगते हैं, तो कुछ लोग बार-बार सेक्स की तरफ खिंचने लगते हैं। वो खुद को रोकना तो चाहते हैं लेकिन रोक नहीं पाते।
- दिमाग के हिस्सों में दिक्कत या बीमारी: अगर किसी इंसान के दिमाग के वो हिस्से जो उसकी इच्छाओं और फैसलों को कंट्रोल करते हैं, वो किसी चोट, बीमारी (जैसे डिमेंशिया, मिर्गी, बाइपोलर डिसऑर्डर) या किसी वजह से कमजोर हो जाएं, तो वो सेक्स पर कंट्रोल खो सकता है।
- पुरानी आदतें: जब कोई इंसान बार-बार एक ही तरह की हरकतें करता है (जैसे बार-बार पोर्न देखना, मास्टरबेशन करना), तो दिमाग इसे अपनी जरूरत मानने लगता है। धीरे-धीरे ये आदत इतनी पक्की हो जाती है कि इंसान चाहकर भी खुद को रोक नहीं पाता। इसी से जुड़ी एक न्यूरो साइंटिफिक स्टडी में पाया गया कि सेक्स से जुड़ी चीज़ें जैसे पोर्न या फैंटेसी, हमारे दिमाग की “रिवॉर्ड-लर्निंग सिस्टम” को एक्टिव करती हैं, बिल्कुल वैसे ही जैसे ड्रग्स या जुए जैसी लतों में होता है [2]। इस वजह से सेक्स एडिक्शन को सिर्फ इच्छाशक्ति या आदत की कमी कहना गलत होगा। यह एक बीहेवियरल एडिक्शन (व्यवहारिक लत) जैसा है, जिसमें दिमाग बार-बार उसी अनुभव की ओर खिंचता है, भले ही इंसान खुद नहीं चाहता।
- ड्रग्स या शराब का असर: कुछ लोग जो कोकीन, एम्फेटामीन जैसी ड्रग्स या बहुत ज्यादा शराब लेते हैं, उनके लिए सेक्स एक लत बन सकती है।
- कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट: पार्किंसन जैसी बीमारियों में दी जाने वाली कुछ दवाओं (जैसे levodopa) से भी कुछ लोगों में सेक्स एडिक्शन जैसी दिक्कत देखी गई है।
सेक्स एडिक्ट के लक्षण
- हमेशा सेक्स के बारे में सोचना: सेक्स एडिक्ट का दिमाग सेक्स से जुड़ी बातों से भरा रहता है। वो काम, पढ़ाई या घर की जिम्मेदारियों पर ध्यान नहीं दे पाता क्योंकि उसका दिमाग बार-बार सेक्स की तरफ जाता है।
- बार-बार हस्तमैथुन करना: सेक्स एडिक्ट बार-बार हस्तमैथुन करता है, इतना कि वो खुद को रोक ही नहीं पाता और कई बार ये काम गलत समय पर या इस हद तक होता है कि शरीर में दर्द या तकलीफ होने लगती है।
- रिस्की और गलत तरीके से सेक्स करना: ऐसा इंसान बिना प्रोटेक्शन के, पब्लिक जगह पर या किसी की मर्जी के बिना सेक्स करने की कोशिश कर सकता है। ये सब खुद के लिए और दूसरों के लिए खतरा बन सकता है।
- बार-बार शर्म, पछतावा और उदासी महसूस करना: सेक्स एडिक्ट को कई बार अपने बर्ताव पर अफसोस होता है। वो खुद को रोक न पाने की वजह से उदास या बेचैन हो सकता है और कुछ लोग तो इतने परेशान हो जाते हैं कि उन्हें जिंदगी से ही निराशा होने लगती है।
- कुछ मामलों में गैरकानूनी काम करना: बहुत गंभीर मामलों में सेक्स एडिक्ट ऐसा कुछ कर सकता है जो कानून के खिलाफ हो, जैसे स्टॉकिंग (पीछा करना), रेप या किसी को नुकसान पहुंचाना। लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि हर सेक्स एडिक्ट ऐसा करे।
रिसर्च क्या कहती है?
सेक्स एडिक्शन को लेकर वैज्ञानिकों में अभी भी बहस जारी है। कई वैज्ञानिक मानते हैं कि यह एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे मानसिक बीमारी के रूप में परिभाषित करने पर सभी एकमत नहीं हैं।
DSM-5 (Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders), (जो दुनियाभर में मानसिक बीमारियों के डायग्नोसिस का स्टैंडर्ड गाइड है), में हाइपरसेक्सुएलिटी को शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन इसे शामिल नहीं किया गया क्योंकि:
- पर्याप्त और ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं मिले कि सेक्स एडिक्शन एक स्वतंत्र मानसिक बीमारी है।
- वैज्ञानिकों को यह चिंता थी कि कहीं सामान्य से अधिक सेक्स ड्राइव या अलग अलग सेक्सुअल प्रैक्टिस को “बीमारी” का नाम न दे दिया जाए।
- यह समाज में सेक्सुअलिटी से जुड़ी पहले से मौजूद शर्म और कलंक को और न बढ़ा दे।
वहीं दूसरी ओर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ICD-11 गाइडलाइन ने 2019 में इसे मान्यता दी और इसे “Compulsive Sexual Behavior Disorder (CSBD)” के नाम से शामिल किया। यह बताता है कि अब वैश्विक स्तर पर इस समस्या को गंभीरता से लिया जा रहा है [3]।
और अब एक नई रिसर्च भी इस बहस को एक नई दिशा देती है।
2015 में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया कि सेक्स एडिक्शन और ड्रग्स जैसी अन्य लतों में समान न्यूरोलॉजिकल बदलाव देखे जाते हैं। इस रिसर्च में यह तर्क दिया गया कि बार-बार पोर्न देखना या अत्यधिक यौन व्यवहार दिमाग में उसी हिस्से को सक्रिय करता है जो कोकीन या शराब जैसी लत में होता है। इससे यह पता चलता है कि सेक्स एडिक्शन भी एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी के तौर पर समझा जा सकता है, न कि सिर्फ कोई आदत या इच्छाशक्ति की कमी [4]।
सेक्स एडिक्शन और हाई सेक्स ड्राइव में फर्क कैसे समझें?
कई बार लोगों के मन में ये सवाल आता है कि कहीं उनकी सेक्स की चाहत इतनी ज्यादा तो नहीं कि वो सेक्स एडिक्ट हो गए हैं। तो आइए इसे आसान तरीके से समझते हैं।

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हाई सेक्स ड्राइव | सेक्स एडिक्शन |
इसमें खुद पर कंट्रोल रहता है | इसमें कंट्रोल खो जाता है |
रिश्तों में नुकसान नहीं होता | रिश्तों और दिनचर्या पर बुरा असर पड़ता है |
ख़ुशी और संतुष्टि मिलती है | शर्म, पछतावा और तनाव पैदा होता है |
सेक्स की इच्छा नॉर्मल है, लेकिन जब यही इच्छा आपके कंट्रोल से बाहर जाने लगे, तो उसे समझना और संभालना ज़रूरी होता है, और उसके लिए इलाज मौजूद है।
सेक्स एडिक्ट के प्रकार
सेक्स एडिक्शन की केवल एक ही वजह नहीं होती। यह हर इंसान में अलग अलग वजहों से होता है। किसी को ये दिमाग की आदतों की वजह से हो सकता है, तो किसी को बचपन के दर्द या भावनात्मक खालीपन की वजह से। हर किसी की वजह अलग होती है और उसी वजह को समझना इलाज का पहला कदम है।
चलिए अब जानते हैं कि सेक्स एडिक्ट के कितने प्रकार होते हैं और ये किस तरह अलग-अलग लोगों में दिख सकते हैं:
- बायोलॉजिकल सेक्स एडिक्ट: ये लोग बार-बार पोर्न, फैंटेसी या खास तरह की सेक्सुअल एक्टिविटी से ऐसा जुड़ जाते हैं कि दिमाग की आदत बन जाती है। धीरे-धीरे खुद पर कंट्रोल खोने लगते हैं।
- साइकोलॉजिकल सेक्स एडिक्ट: ऐसे लोगों का बचपन मुश्किल भरा होता है। ये उपेक्षा, दर्द या किसी दुर्व्यवहार का शिकार हुए होते हैं। सेक्स उन्हें अंदर की खालीपन या दर्द से भागने का तरीका लगता है।
- स्पिरिचुअल सेक्स एडिक्ट: ये लोग सेक्स में वो सुकून या मतलब ढूंढते हैं जो वो कहीं और नहीं पा पाते। जब उन्हें असली आध्यात्मिक शांति मिलती है, तो लत अक्सर कम हो जाती है।
- ट्रॉमा-बेस्ड सेक्स एडिक्ट: जो लोग कभी यौन शोषण का शिकार हुए हों, वो अनजाने में उस दर्द को दोहराते रहते हैं या उस पर कंट्रोल पाने की कोशिश करते हैं।’
- इंटिमेसी से दूर भागने वाले सेक्स एडिक्ट: ये लोग अपने करीबी रिश्तों में तो प्यार या नजदीकी से दूरी बनाते हैं, लेकिन बाहर सेक्स का सहारा लेते हैं।
- मूड से जुड़ा सेक्स एडिक्ट: जो लोग डिप्रेशन, एंग्जायटी या मूड की दिक्कत से जूझते हैं, वो अच्छा महसूस करने के लिए सेक्स का सहारा लेते हैं।
सेक्स एडिक्ट का इलाज कैसे किया जाता है?
सेक्स एडिक्ट को ठीक करने के लिए दवाओं और थेरेपी दोनों का सहारा लिया जाता है।
दवाएं:
कोई दवा सीधे सेक्स एडिक्शन के लिए नहीं बनी है, लेकिन कुछ दवाएं दिमाग की सेक्स से जुड़ी तड़प या बार-बार होने वाली क्रेविंग को शांत करने में मदद कर सकती हैं, जैसे:
- एंटीडिप्रेसेंट (SSRIs): सेक्स की तीव्र इच्छा को कम करने में मददगार होती हैं [5]।
- एंटी-एंड्रोजन दवाएं: गंभीर मामलों में पुरुष हार्मोन पर असर डालकर सेक्स की क्रेविंग को कम कर सकती हैं।
- नाल्ट्रेक्सोन: शराब या जुए की लत में दी जाने वाली ये दवा सेक्स एडिक्शन में भी फायदेमंद हो सकती है [5]।
- मूड स्टेबलाइज़र और एंटी-एंग्जायटी दवाएं: अगर मूड स्विंग्स या एंग्जायटी जुड़ी हो तो ये दवाएं दी जा सकती हैं।
थेरेपी:
थेरेपी में आप किसी एक्सपर्ट से बात करते हैं, जो आपकी सोच और आदतों को समझ कर उसे बदलने में आपकी मदद करता है। यह अकेले व्यक्ति के लिए हो सकती है, या परिवार और कपल्स के लिए भी, क्योंकि इस समस्या से सभी प्रभावित होते हैं।
- कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT): इसमें नकारात्मक सोच और आदतों को पहचान कर उन्हें बदलना सिखाया जाता है [5]।
- एक्सेप्टेंस एंड कमिटमेंट थेरेपी (ACT): इसमें सिखाया जाता है कि अपने अंदर के तनाव को कैसे स्वीकार करें और उससे भागें नहीं।
- मोटिवेशनल इंटरव्यूइंग (Motivational Interviewing): इसमें आपकी ज़िंदगी के मकसद और सेक्स की लत के बीच फर्क समझाया जाता है, ताकि आप खुद बदलाव की दिशा में बढ़ें।
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