पहली बार सेक्स कैसे करें
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"इस लेख को किसी भी उत्पाद, सेवा या जानकारी के समर्थन, सिफारिश या गारंटी के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। पाठक इस ब्लॉग में दी गई जानकारी के आधार पर लिए गए निर्णयों और कार्यों के लिए पूरी तरह स्वयं जिम्मेदार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी या सुझाव को लागू या कार्यान्वित करते समय व्यक्तिगत निर्णय, आलोचनात्मक सोच और व्यक्तिगत जिम्मेदारी का प्रयोग करना आवश्यक है।"
सेक्स का नाम सुनकर ही मन मे कई तरह के सवाल आने लगते हैं- खासतौर से टीनएजर्स के मन में, जो अपने शरीर में हो रहे बदलावों को महसूस करते हैं और जानना चाहते हैं कि ये सब क्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, युवाओं को सेक्स एजुकेशन मिलना उनके स्वस्थ विकास का अनिवार्य हिस्सा है [1]। भारतीय समाज में, यौन शिक्षा के बारे में चर्चा अक्सर वर्जित विषय मानी जाती है। 2015 के अध्ययन के अनुसार, भारत में केवल 20% किशोरों को ही स्कूल में कोई औपचारिक यौन शिक्षा मिलती है [2]। इसलिए अक्सर मन में डर, शर्म और बहुत सारी उलझनें रह जाती हैं।
बहुत से लोग पहली बार सेक्स करने से पहले नर्वस होते हैं — क्या सही है, क्या गलत, कैसे करें, क्या करें, क्या न करें? ऊपर से इंटरनेट, फिल्में या दोस्तों से सुनी आधी-अधूरी बातें और भी भ्रम पैदा करती हैं। असल में, सेक्स का मतलब सिर्फ शारीरिक संबंध ही नहीं होता। इसमें भरोसा, आपसी समझ, सहमति और सुरक्षा भी उतने ही ज़रूरी हैं। यह लेख उन्हीं सवालों का जवाब देने के लिए है, ताकि आप जान सकें कि सेक्स क्या है, इसे सुरक्षित और समझदारी से कैसे किया जाए, और इसमें खुद को और अपने पार्टनर को कैसे सम्मान दिया जाए।
सेक्स क्या है?
सेक्स का मतलब हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है [3]– किसी के लिए यह प्यार जताने का तरीका होता है, किसी के लिए सिर्फ शारीरिक सुख पाने का, और किसी के लिए तो ये सिर्फ बच्चे पैदा करने का जरिया होता है।
सेक्स एक बहुत ही निजी अनुभव है, जिसमें हमारे शरीर, दिमाग और भावनाएं सब शामिल होते हैं। इसमें सिर्फ पेनिट्रेशन (लिंग का योनि मे प्रवेश) ही नहीं, बल्कि कई तरह की गतिविधियां आती हैं, जैसे कि:
- एक-दूसरे को प्यार से छूना
- चूमना और गले लगाना
- ओरल सेक्स या मैनुअल स्टिमुलेशन (एक दूसरे के जननांगों को हाथ या जीभ से उत्तेजित करना)
इसका कोई सही या गलत तरीका नहीं होता। जो दोनों लोगों को अच्छा लगे, वही सही तरीका है। बस इसमे दोनों पार्टनर को अपनी खुशी से और सहमति से भाग लेना चाहिए और यह सुरक्षित होना चाहिए। हर स्टेप पर पूछना और बात करना ज़रूरी है।
सेक्स में सहमति और बातचीत क्यों ज़रूरी है?
- सेक्स भरोसे और सम्मान पर टिका होता है
यह दो लोगों के बीच गहरा जुड़ाव होता है, जहां आपसी समझ और भावनात्मक सुरक्षा ज़रूरी है। - सहमति का मतलब है स्पष्ट और खुशी से दी गई ‘हाँ’ [4]
दोनों पार्टनर्स को बिना दबाव, डर या झिझक के अपनी इच्छा जताने का पूरा अधिकार होना चाहिए। - सहमति एक बार नहीं, लगातार ज़रूरी होती है
सेक्स के हर स्टेप पर सहमति ज़रूरी है। अगर किसी का व्यवहार बदल जाए, चुप हो जाए, तो रुककर पूछना ज़रूरी है। - बिना दबाव के होनी चाहिए सहमति
जब कोई नशे में हो, सो रहा हो या बहुत कम उम्र का हो, तो वह सहमति देने की स्थिति में नहीं होता। - ‘हाँ’ का मतलब हर चीज़ के लिए ‘हाँ’ नहीं होता
किसी एक चीज़ के लिए सहमति का मतलब यह नहीं कि वह हर क्रिया के लिए तैयार है। - खुलकर बातचीत सेक्स को बेहतर बनाती है।
जब आप अपनी पसंद-नापसंद, सीमाएं और इच्छाएं खुलकर बताते हैं, तो यह अनुभव ज्यादा सुरक्षित, प्यार भरा और खूबसूरत बनता है [5]।
सेक्स के लिए शारीरिक और मानसिक तैयारी
पहली बार सेक्स करना अपने आप मे एक बड़ा अनुभव होता है- जिसमे रोमांच और घबराहट दोनों होते हैं। लेकिन ये पूरी तरह से सामान्य है और हम इस अनुभव को बेहतर बनाने के लिए मानसिक और शारीरिक तैयारी कर सकते हैं।
- सोच समझकर एक शांत और सुरक्षित माहौल चुनें।
- अपने शरीर और जननांगों की सफाई पर ध्यान दें, जिससे संक्रमण होने का खतरा कम हो।
- दोनों पार्टनर मानसिक रूप से तैयार होने चाहिए, जिससे कोई “परफॉर्म करने” का दबाव न हो। सेक्स एक अनुभव है, कोई रेस नहीं।
- अपने पार्टनर से खुलकर बात करें कि आप क्या महसूस कर रहे हैं, क्या उम्मीदें हैं, और किन बातों को लेकर संकोच है।
- अगर किसी कारण से आप या आपका पार्टनर बीच में रुकना चाहें, तो उसे पूरी तरह से बिना कोई अपराधबोध दिए स्वीकार करें।
“अच्छा सेक्स शारीरिक जुड़ाव से पहले भरोसे और मानसिक कनेक्शन से शुरू होता है। जब दोनों एक-दूसरे की बातें सुनते और सम्मान करते हैं, तब अनुभव भी सुंदर बनता है।”
सेक्स को सुरक्षित बनाने के उपाय
सुरक्षित सेक्स का मतलब सिर्फ गर्भ रोकने से नहीं है, बल्कि यह आप और आपके पार्टनर दोनों को यौन रोगों (STIs) से बचाने का तरीका है [6]। जब आप सुरक्षित तरीके अपनाते हैं, तो सेक्स न सिर्फ ज़्यादा सुरक्षित होता है, बल्कि मानसिक रूप से भी सुकूनदायक और मज़ेदार बनता है। असुरक्षित सेक्स से बहुत सारे यौन संचारित रोग (STIs) जैसे एचआईवी, क्लेमाइडिया, गोनोरिया, HPV वगैरह बिना लक्षण के भी फैल सकते हैं[7]। इसलिए हमेशा:
- हर बार सेक्स से पहले कंडोम का इस्तेमाल करें। चाहे वो ओरल, एनल या वेजाइनल सेक्स हो।
- अगर आप अक्सर सेक्स करते हों तो नियमित STI टेस्ट कराएं, खासकर जब आप नया पार्टनर बना रहे हों।
- लुब्रिकेंट (चिकना करने वाला पदार्थ) का इस्तेमाल करें — इससे सेक्स ज़्यादा आरामदायक और सुरक्षित बनता है, खासकर जब कंडोम का इस्तेमाल हो रहा हो।
सेक्स के प्रकार
सेक्स का कोई एक तरीका नहीं होता, इसके कई तरीके हो सकते हैं, जैसे:
- 1. वेजाइनल सेक्स (Vaginal Sex): यह सबसे आम प्रकार का सेक्स है, जिसमें लिंग योनि में जाता है या कभी-कभी दो योनियों का आपस में रगड़ना भी शामिल हो सकता है।
- 2. ओरल सेक्स (Mouth to Genital Sex): जब मुंह, होंठ या जीभ से जननांगों को चूमा या चूसा जाता है तो उसे ओरल सेक्स कहते हैं। यह बहुत लोगों के लिए आनंददायक हो सकता है, लेकिन साफ-सफाई और यौन संक्रमण की सुरक्षा ज़रूरी है।
- 3. एनल सेक्स (Anal Sex): इसमें लिंग या सेक्स टॉय को गुदा (anus) में डाला जाता है। चूंकि गुदा में नैचुरल लुब्रिकेशन (नमी) नहीं होता, इसलिए अच्छी मात्रा में लुब्रिकेंट का इस्तेमाल करना बेहद ज़रूरी है।
- 4. इरोजेनस टचिंग (Erogenous Touching): हर इंसान के शरीर में कुछ हिस्से बेहद संवेदनशील होते हैं — जैसे गर्दन, निपल्स, पीठ, जांघें, कान। वहां प्यार से स्पर्श करना, सहलाना या गले लगाना भी एक तरह का सेक्सुअल अनुभव होता है। इसमें कोई पेनिट्रेशन ज़रूरी नहीं।
- 5. फिंगरिंग और हैंड जॉब: फिंगरिंग का मतलब उंगलियों से योनि या क्लिटोरिस को सहलाना, या गुदा के अंदर हल्के से प्रवेश करना। हैंड जॉब का मतलब हाथ से लिंग को सहलाकर उत्तेजित करना। यह बेहद सामान्य और सुरक्षित तरीका है, अगर ठीक से किया जाए तो।
- 6. हस्तमैथुन: इसमे आप खुद अपने शरीर को छूकर यौन आनंद महसूस करते हैं। इसमें सेक्स टॉयज़ जैसे वाइब्रेटर, डिल्डो या अन्य उपकरणों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
- सेक्स कैसे करें
- फोरप्ले से शुरुआत करें: फोरप्ले सेक्स शुरू करने से पहले का वो समय होता है जब आप अपने पार्टनर के साथ शारीरिक और भावनात्मक तौर पर जुड़ते हैं [8]। इसमें किस करना, छूना, गले लगाना, फ्लर्ट करना या बातों से उत्तेजना बढ़ाना शामिल हो सकता है। यह हर किसी के लिए अलग होता है, कभी यह कुछ मिनटों का हो सकता है, तो कभी लंबा।
- लूब्रिकेन्ट का इस्तेमाल करें: यह एक तरह का जेल या तरल होता है जो सेक्स के दौरान रगड़ (friction) को कम करने में मदद करता है, ताकि चीज़ें ज़्यादा आरामदायक रहें [9]। ये उन लोगों के लिए बढ़िया होता है जिनका शरीर प्राकृतिक रूप से ज़्यादा नमी नहीं बनाता।
- सही पोज़िशन चुनें: शुरुआत के लिए ये पॉज़िशन्स आसान मानी जाती हैं:
- पेनिट्रेशन (लिंग का योनि मे प्रवेश): यह सेक्स का सबसे चर्चित हिस्सा होता है, लेकिन यह सिर्फ एक हिस्सा है, पूरा सेक्स नहीं। इसमें लिंग को धीरे और आराम से योनि में डाला जाता है। अगर पेनिट्रेशन मे दर्द हो तो तुरंत रुकें, और पार्टनर से सेक्स के दौरान भी बात करते रहें।
- ऑर्गेज्म पर ध्यान न दें: याद रखें की सेक्स सिर्फ ऑर्गेज्म तक ही सीमित नहीं है। अगर ऑर्गेज्म नहीं भी मिल रहा है, तो घबराने वाली कोई बात नहीं है।
- सेक्स के बाद का प्यार: सेक्स खत्म होने के बाद के पलों को इन्जॉय करें। एक-दूसरे को पकड़कर रखना या पास लेटना भी बेहद सुकून भरा हो सकता है।
- साफ सफाई का ख्याल रखें: सेक्स के बाद हाइजीन बहुत ज़रूरी है, जिससे संक्रमण होने की आशंका कम हो [10]। महिलाएं अपनी योनि और वल्वा (बाहरी भाग) को हल्के पानी से धोएं और पुरुष कंडोम हटाकर लिंग को साफ करें और कंडोम को फ्लश न करें। इसे पेपर में लपेटकर डस्टबिन में डालें।
अपने शरीर को जानें
जब बात सेक्स की होती है, तो अपने व अपने पार्टनर के शरीर की बनावट को समझना ज़रूरी हो जाता है, जिससे आपका अनुभव और अच्छा हो सके।
महिलाओं में:

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- क्लिटोरिस (भगशेफ): महिलाओं में आनंद का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है [11]।
- G-स्पॉट: योनि के अंदर एक संवेदनशील क्षेत्र होता है, लेकिन हर महिला को इसमें आनंद नहीं आता।
पुरुषों में:
- लिंग और अंडकोष (testicles): पुरुषों के सबसे संवेदनशील अंग होते हैं।
- कुछ पुरुषों को प्रोस्टेट (prostate) के ज़रिए भी आनंद मिलता है, जो गुदा मार्ग से उत्तेजित किया जा सकता है।
भावनात्मक और मानसिक पहलू
- घबराना बिल्कुल ठीक है: पहली बार सेक्स को लेकर थोड़ा नर्वस या डरा हुआ महसूस करना बहुत आम है। इसका मतलब ये नहीं कि कुछ गलत है, इसका मतलब बस इतना है कि आप परवाह करते हो। खुद को थोड़ा वक्त दो और धीरे-धीरे सहज हो जाओ।
- भरोसा बहुत ज़रूरी है: जब आप किसी के साथ इतना करीब आते हो, तो भरोसा ही सबसे मजबूत पुल बनता है। एक अच्छा पार्टनर आपको सुनेगा, आपकी रज़ामंदी का सम्मान करेगा और आपको पूरी तरह सुरक्षित महसूस कराएगा।
- अपने शरीर से दोस्ती करो: कोई शरीर परफेक्ट नहीं होता। आपका शरीर जैसा है, वैसा ही खूबसूरत है। आत्मविश्वास तभी आता है जब आप खुद को जैसे हैं वैसे ही अपनाते हैं। सेक्स का मजा भी तभी दोगुना होता है।
- ‘परफॉर्म’ नहीं, कनेक्ट करो: सेक्स कोई टेस्ट या परफॉर्मेंस नहीं है। यह एक एहसास है, जिसमें दो लोग मिलकर एक अनुभव बनाते हैं। जब आप ये सोचते रहते हो कि “मैं अच्छा कर रहा हूँ या नहीं?”, तो आप उस पल में पूरी तरह शामिल नहीं हो पाते। इसलिए चिंता छोड़ो और बस उस पल को जियो।
