Disclaimer

"The following blog article provides general information and insights on various topics. However, it is important to note that the information presented is not intended as professional advice in any specific field or area. The content of this blog is for general educational and informational purposes only.

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The content should not be interpreted as endorsement, recommendation, or guarantee of any product, service, or information mentioned. Readers are solely responsible for the decisions and actions they take based on the information provided in this blog. It is essential to exercise individual judgment, critical thinking, and personal responsibility when applying or implementing any information or suggestions discussed in the blog."

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क्या आपको भी सुबह उठते ही लिंग में तनाव (कड़ापन) महसूस होता है और आप नहीं जानते कि ऐसा क्यों होता है?
अगर आपका जवाब हाँ है, तो आपको शायद यह जानकार हैरानी हो कि यह एक बिल्कुल सामान्य और स्वस्थ प्रक्रिया है, जिसे मेडिकल भाषा में मॉर्निंग इरेक्शन कहा जाता है। इसका मतलब यह नहीं कि आप उत्तेजित हुए या आपने कोई सपना देखा, बल्कि यह आपके सोने के तरीके, शरीर के हार्मोन और नसों के काम से जुड़ी एक सामान्य बात है।

इस लेख में हम आसान भाषा में समझाएंगे कि मॉर्निंग इरेक्शन क्यों होता है, इसके पीछे शरीर के कौन-कौन से सिस्टम काम करते हैं, ये कितनी बार होना नॉर्मल है, और कब इसे लेकर डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी हो सकता है।

मॉर्निंग इरेक्शन असल में क्या है?

मॉर्निंग इरेक्शन, जिसे मेडिकल भाषा में इसे NPT कहा जाता है, जो बस एक तकनीकी नाम है सुबह होने वाले इरेक्शन का। यह एक प्राकृतिक और सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। इसमें नींद के दौरान या सुबह उठते ही बिना किसी यौन उत्तेजना के लिंग में तनाव (इरेक्शन) आ जाता है।

यह जरूरी नहीं कि आपने कोई सपना देखा हो या उत्तेजित हुए हों, बल्कि यह संकेत है कि आपका नर्वस सिस्टम, हार्मोन बैलेंस और खून का बहाव सही तरीके से काम कर रहा है। नियमित रूप से मॉर्निंग इरेक्शन होना इस बात का सबूत है कि आपकी यौन सेहत सामान्य है।

यह प्रक्रिया बच्चों से लेकर युवाओं और वयस्कों तक सभी में देखी जाती है [1]
हालांकि, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, खासकर 40 की उम्र के बाद, यह कम बार हो सकती है, जो कि सामान्य बात है [2]

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लेकिन अगर किसी पुरुष को लंबे समय तक मॉर्निंग इरेक्शन नहीं हो रहा, तो यह कुछ स्वास्थ्य समस्याओं की ओर इशारा कर सकता है, जैसे:

  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED)
  • ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत
  • या नर्वस सिस्टम की कमजोरी

ऐसे में डॉक्टर से बात करना ज़रूरी है, ताकि सही कारण पता चल सके और समय पर इलाज हो सके।

सुबह-सुबह लिंग में तनाव क्यों होता है?

अगर आप भी कभी सुबह उठते ही अपने लिंग में तनाव (इरेक्शन) महसूस करते हैं, तो घबराने की कोई जरूरत नहीं, ये बहुत ही आम और एकदम नेचुरल चीज़ है। इसे अक्सर लोग “मॉर्निंग वुड” कहते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी सही वजह पूरी तरह से साफ़ नहीं है, लेकिन इतना जरूर तय है कि यह एक अच्छा इशारा होता है। इसका मतलब है कि आपके लिंग में खून का बहाव ठीक है और इरेक्शन से जुड़ी नसें और मांसपेशियाँ सही से काम कर रही हैं।

  • असल में, जब हम सो रहे होते हैं, खासकर उस नींद की स्टेज में जिसे REM स्लीप कहते हैं, यह नींद का वह हिस्सा होता है, जिसमें हम सपने देखते हैं [3]। उस दौरान  हमारे शरीर का एक सिस्टम (नर्व सिस्टम) एक्टिव होता है जो हमें आराम देता है और इरेक्शन को कंट्रोल करता है। इस फेज़ में लिंग में खून का बहाव बढ़ जाता है [4], जिससे अपने आप इरेक्शन हो जाता है।
  • यानि ऐसा नहीं होता कि आपने कुछ सोचा या कोई सपना देखा है, इस वजह से इरेक्शन हुआ है। ये बस शरीर की अपनी एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

मॉर्निंग इरेक्शन की कुछ और वजहें 

  • हॉर्मोन के स्तर में बदलाव

जब आप रात को गहरी नींद में होते हैं, खासकर REM स्लीप के दौरान, तो आपके शरीर में कुछ ज़रूरी हार्मोन काम करना शुरू कर देते हैं, जैसे टेस्टोस्टेरोन। यह वही हार्मोन है जो पुरुषों की यौन इच्छा और इरेक्शन से जुड़ी कई प्रक्रियाओं को कंट्रोल करता है। यह सुबह सबसे ज्यादा एक्टिव होता है, इसलिए उस वक्त इरेक्शन होना आम है। [5। यही वजह है कि कई बार सुबह उठते ही बिना किसी उत्तेजना के भी लिंग में तनाव आ जाता है।

हालांकि, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है (खासतौर पर 40 या 50 की उम्र के बाद), शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा धीरे-धीरे कम होने लगती है [6]। और उसी के साथ मॉर्निंग इरेक्शन भी कम बार महसूस हो सकता है, जो कि सामान्य है।

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सिर्फ टेस्टोस्टेरोन ही नहीं, बल्कि प्रोलैक्टिन जैसे हार्मोन भी नींद के दौरान एक्टिव रहते हैं और यौन व्यवहार को सपोर्ट करते हैं। इससे पता चलता है कि मॉर्निंग इरेक्शन सिर्फ सेक्स से जुड़ी चीज़ नहीं है, बल्कि यह हमारे शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

  • फुल ब्लैडर (मूत्राशय)

अगर आप रातभर बाथरूम नहीं गए, तो सुबह तक आपका ब्लैडर पूरी तरह भर चुका होता है। अब ये भरा हुआ ब्लैडर शरीर की एक खास नस सेक्रल नर्व (sacral nerve) पर दबाव डाल सकता है। ये नस रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में होती है और लिंग में खून के बहाव और इरेक्शन को कंट्रोल करती है, खासकर जब आप गहरी नींद में होते हैं।

तो जब ब्लैडर इस नस पर हल्का-सा दबाव बनाता है, तो कभी-कभी बिना किसी यौन सोच या उत्तेजना के भी इरेक्शन हो सकता है [4]और जब भी आपके साथ ऐसा हो तो घबराइए मत, ये आपके शरीर का एक अच्छा तरीका है बताने का कि आपके नर्वस सिस्टम और ब्लड सर्कुलेशन (खून का शरीर में बहना) सही से काम कर रहे हैं।

  • हल्की छुअन से भी हो सकता है इरेक्शन

आपके शरीर को अपने आसपास की हल्की हलचल भी महसूस होती रहती है, भले ही आप गहरी नींद में हों। जैसे अगर रात में आपके लिंग पर चादर, अंडरवियर या पजामे का कपड़ा थोड़ा सा रगड़ खा जाए, तो शरीर उसे एक सिग्नल की तरह ले सकता है। और जब ये सिग्नल रीढ़ की हड्डी के नीचे के हिस्से ‘इरेक्शन सेंटर’ में पहुंचते हैं, तो कभी-कभी केवल इस हल्के से टच से भी लिंग में खून का बहाव बढ़ जाता है और इरेक्शन हो सकता है। 

  • खून की नलिकाओं (blood vessels) का काम

  • जब हम REM नींद में होते हैं, तब हमारे शरीर में एक खास पदार्थ बनता है, जिसे नाइट्रिक ऑक्साइड कहते हैं। यह नाइट्रिक ऑक्साइड हमारे लिंग की वेज़ल्स को आराम देता है। जब ये वेज़ल्स आराम करती हैं, तो लिंग में खून ज़्यादा बहने लगता है। इससे लिंग में तनाव आ जाता है। 
  • लिंग के अंदर कुछ मांसपेशियाँ होती हैं जो आम तौर पर टाइट रहती हैं, ताकि बहुत ज्यादा खून अंदर न जाए। लेकिन जब नाइट्रिक ऑक्साइड बनता है, तो ये मांसपेशियाँ भी ढीली हो जाती हैं और लिंग मे ज़्यादा खून भर जाता है [7], ठीक वैसे ही जैसे कुछ दवाइयाँ काम करती हैं, जैसे Sildenafil (सिल्डेनाफिल – जो इरेक्शन की दवा है)
  • जब लिंग में खून भर जाता है, तो खून बाहर निकलने का रास्ता भी थोड़ी देर के लिए बंद हो जाता है। यही वजह है कि आप सुबह उठते ही लिंग में तनाव महसूस करते हैं।
  • इसका मतलब ये है कि मॉर्निंग इरेक्शन होना एक सामान्य और स्वस्थ प्रक्रिया है। इससे पता चलता है कि आपकी नसें, खून का बहाव और शरीर का सिस्टम ठीक से काम कर रहा है।
  • हालाँकि, अभी भी इन कारणों पर पूरी तरह से पक्की रिसर्च नहीं हुई है। लेकिन ज़्यादातर डॉक्टर मानते हैं कि ये प्रक्रिया आम और हेल्दी होती है।

“हम मॉर्निंग इरेक्शन को कभी-कभी ‘हेल्थ चेक बिना टेस्ट’ जैसा मानते हैं ।  यह बताता है कि सब कुछ सही दिशा में चल रहा है। अगर कभी-कभी नहीं हो तो चिंता की बात नहीं, पर अगर लगातार न हो, तो डॉक्टर से बात ज़रूरी हो सकती है।”

कितनी बार मॉर्निंग इरेक्शन आना “नॉर्मल” है?

इसका कोई एक सही जवाब नहीं है। कोई रोज़ सुबह इरेक्शन महसूस करता है, तो कोई हफ्ते में एक या दो बार। यह आपके शरीर, उम्र, तनाव, नींद और हेल्थ पर निर्भर करता है। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपके पैटर्न में अचानक बदलाव आया है, तो इस बारे में डॉक्टर से ज़िक्र करें

मॉर्निंग इरेक्शन कब चिंता की बात होता है?

यूँ तो मॉर्निंग इरेक्शन का आना अच्छी बात होती है, क्योंकि यह आपके शरीर को स्वस्थ बताने का अच्छा तरीका है, पर कुछ मामलों में डॉक्टर से बात करना समझदारी हो सकती है। 

  • अगर इरेक्शन के दौरान दर्द हो: अगर लिंग में इरेक्शन के समय दर्द महसूस हो रहा है, या टेस्टिकल्स (अंडकोष) में कुछ अजीब सा लग रहा है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। कई बार लिंग का झुका होना (curve) इसकी वजह हो सकता है [8], जिसका इलाज संभव है।
  •  अचानक मॉर्निंग इरेक्शन का बंद हो जाना: अगर आपको पहले हमेशा सुबह उठते वक्त इरेक्शन होता था, और अब यह बिल्कुल नहीं हो रहा या बहुत कम हो गया है, तो यह किसी अंदरूनी समस्या का इशारा हो सकता है। हालांकि उम्र बढ़ने पर थोड़ी कमी आना सामान्य है, लेकिन अगर यह बदलाव अचानक हुआ हो, तो डॉक्टर से ज़रूर बात करें। यह हार्मोन, खून के बहाव, नर्व से जुड़ी किसी परेशानी या ईडी का इशारा हो सकता है।
  • लंबे समय तक बने रहने वाला इरेक्शन: सुबह का इरेक्शन आमतौर पर 30 मिनट के अंदर खुद ही चला जाता है। लेकिन अगर यह 1 घंटे से ज़्यादा चले, तो यह एक मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है, जिसे priapism (जब इरेक्शन बहुत देर तक बना रहे और खुद न हटे) कहते हैं [9]। इसमें खून लिंग में फंस जाता है और अगर तुरंत इलाज न मिले, तो टिशू डैमेज हो सकता है।

मॉर्निंग इरेक्शन कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि यह आपके शरीर की एक स्वस्थ और स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। यह इस बात का सबूत है कि आपकी नींद, नर्वस सिस्टम और हार्मोन सब अच्छे से काम कर रहे हैं। अगर कभी-कभार ऐसा न हो तो घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन अगर इसमें अचानक बदलाव आए, दर्द हो, या यह बहुत ज्यादा देर तक बना रहे, तो डॉक्टर से सलाह ज़रूरी है।

यौन स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करना ही पहला कदम है अपने शरीर और खुद के प्रति ईमानदार होने का। याद रखिए, शरीर से जुड़ी हर बात जानना और समझना, आपकी सेहत का हक है।