संक्षेप

अगर लिंग में तनाव नहीं आता या जल्दी ढीला पड़ जाता है, तो यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी) हो सकता है, जो अक्सर तनाव, हार्मोनल असंतुलन, खराब जीवनशैली, या ब्लड फ्लो की दिक्कत से जुड़ा होता है। इसका समाधान संभव है: रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें, कीगल व्यायाम करना शुरू करें, संतुलित आहार लें, तनाव, सिगरेट और शराब से दूरी बनाएं, और अच्छी नींद लें। अगर ज़रूरत हो, तो डॉक्टर से सलाह लेकर दवा या थेरेपी लें। सही जानकारी, जीवनशैली में सुधार, और पार्टनर से खुलकर बातचीत—ये तीन चीज़ें मिलकर ईडी से उबरने में सबसे ज़्यादा मदद करती हैं।

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कुछ पुरुषों के लिए लिंग में तनाव केवल सेक्स से जुड़ी बात नहीं है, यह उनकी मर्दानगी और आत्मविश्वास से भी जुड़ा हुआ है। अगर कभी–कभी आपके लिंग में तनाव नहीं आ रहा, तो यह सामान्य है, लेकिन अगर यह समस्या बार बार हो रही है और समय के साथ बढ़ती ही जा रही है, तो यह स्तंभन दोष /इरेक्टाइल डिस्फंक्शन /ईडी हो सकता है। यह समस्या यूँ तो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन 40 साल के बाद इसके मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं।

ईडी का मतलब आपकी मर्दानगी में कमी बिल्कुल भी नहीं है, बल्कि यह शरीर या मन में किसी गड़बड़ी का इशारा है। तनाव, खराब जीवनशैली या किसी बीमारी की दवा भी इसका कारण हो सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, 20 से 29 वर्ष की आयु तक 6% पुरुष, जबकि 40 से 79 वर्ष की आयु तक करीब 70% पुरुषों को यह परेशानी हो सकती है। [1] लेकिन घबराइए मत,अच्छी बात यह है कि ज़्यादातर मामलों में यह ठीक हो सकता है, खासकर जब आप इसकी असली वजह को पहचान लें और सही इलाज या बदलाव अपनाएं। 

तो चलिए, सबसे पहले जानते हैं कि आखिर लिंग में तनाव कैसे आता है और किन किन कारणों से इसमें अड़चनें आ सकती हैं।

लिंग में तनाव (इरेक्शन) कैसे आता है?

आमतौर पर पुरुषों का लिंग छोटा व मुलायम ही रहता है। लेकिन जब कोई व्यक्ति शारीरिक या मानसिक रूप से उत्तेजित होने लगता है, तो सबसे पहले यह संदेश दिमाग तक पहुंचता है। दिमाग लिंग की नसों को सिग्नल भेजता है, जिससे लिंग की स्पंज जैसी मांसपेशियां जिन्हें corpora cavernosa कहते हैं, वो ढीली हो जाती हैं और उनमें खून भरने लगता है। जैसे–जैसे खून भरता जाता है, वैसे–वैसे लिंग में तनावट आती जाती है। एक झिल्ली (tunica albuginea) खून को अंदर ही रोकती है, जिससे लिंग का तनाव बना रहता है। और जब पुरुष चरमसुख (ऑर्गेज्म) प्राप्त कर लेता है, तो मांसपेशियां फिर से सिकुड़ जाती हैं, खून वापस शरीर में चला जाता है, और तनाव कम होने की वजह से लिंग ढीला हो जाता है। 

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लेकिन जब इस पूरी प्रक्रिया में कहीं से भी कोई रुकावट आती है, जैसे सिग्नल पहुंचाने में, खून भरने में, या अगर मांसपेशियां ढीली नहीं हो रहीं– तो या तो लिंग में तनाव आता ही नहीं है या फिर ज्यादा देर तक बना नहीं रहता है। और जब इसी स्थिति से आपको बार बार गुजरना पड़े, तो यह इरेक्टाइल डिस्फंक्शन/ईडी/स्तंभन दोष कहलाता है।

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ईडी यानी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (स्तंभन दोष) की सबसे आम वजह क्या हो सकती है?
यह सिर्फ उम्र बढ़ने के कारण होता है
यह केवल हार्मोन की कमी से होता है
यह केवल मानसिक तनाव से जुड़ी होती है
यह कई शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकता है

लिंग में तनाव न आने के कारण

जब हम किसी बीमारी या समस्या की बात करते हैं, तो सबसे पहले ये जानना ज़रूरी होता है कि आखिर लिंग में तनाव क्यों नहीं आता। ऐसा इसलिए क्योंकि इलाज तभी असरदार होता है जब वो सही कारण को ध्यान में रखकर किया जाए।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की भी कई वजहें हो सकती हैं, कभी यह शारीरिक कारणों से होता है, जैसे हार्मोन की कमी, नसों की परेशानी या रक्त संचार में दिक्कत। और कभी मानसिक कारणों से, जैसे तनाव, थकावट या आत्मविश्वास की कमी।

अगर हम इन कारणों को ठीक से समझेंगे नहीं, और सीधे इलाज की बात करेंगे, तो वो इलाज हर किसी के लिए कारगर नहीं होगा।

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इसलिए सबसे पहले कारण जानना जरूरी है, ताकि आप खुद ये समझ सकें कि यह नार्मल नहीं है, और फिर उसी के अनुसार इलाज या उपाय चुना जा सके।

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शारीरिक कारण [2]

  • हार्मोन की कमी: टेस्टोस्टेरोन या थायरॉइड असंतुलन।
  • नसों की समस्या: स्पाइनल इंजरी, पार्किन्सन, मल्टिपल स्क्लेरोसिस।
  • दवाइयों का असर: बीपी, डिप्रेशन या मानसिक रोग की दवाएँ [3]।
  • जीवनशैली: मोटापा, धूम्रपान, शराब, नशा।
  • उम्र: बढ़ती उम्र में ब्लड फ्लो और टेस्टोस्टेरोन का घटना।
  • रक्त संचार की दिक्कतें: हाई बीपी, डायबिटीज़, दिल की बीमारी [4]।

मानसिक कारण

  • तनाव और थकावट
  • डिप्रेशन
  • परफॉर्मेंस एंग्जायटी: एक अध्ययन के अनुसार, 9–25% पुरुषों का यौन जीवन परफॉर्मेंस एंग्जायटी से प्रभावित होता है [5]।
  • रिश्तों में तनाव या आपसी बातचीत की कमी

डॉक्टर से बात करना कमजोरी नहीं, समझदारी है। आपकी मर्दानगी सिर्फ इरेक्शन से नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और देखभाल से भी जुड़ी होती है।

लिंग में तनाव कैसे लाएं?

अब जब हम ईडी के कारण जान चुके हैं, तो आते हैं उस सवाल पर जो आपके दिमाग में चल रहा होगा– अब क्या करें? तो अब जानते हैं कि कैसे हम अपनी आदतों और सोच में छोटे–छोटे बदलाव लाकर इस समस्या से निजात पा सकते हैं। 

जीवनशैली में बदलाव लाएं:

नियमित एक्सरसाइज करें: 

रोज़ 30 मिनट साइक्लिंग, तेज़ चलना या हल्की दौड़ जैसी एक्सरसाइज करें ताकि शरीर में ब्लड फ्लो सुधरे। ईडी का सबसे बड़ा  कारण ब्लड फ्लो की कमी है, जो दिल की बीमारी, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता से जुड़ी होती है [6]।

कीगल एक्सरसाइज (पेल्विक फ्लोर व्यायाम) भी बेहद असरदार होती है – ये लिंग की अंदरूनी मांसपेशियों को मज़बूत करती है  और कई बार डॉक्टर भी दवाइयों से पहले इसकी सलाह देते हैं। रिसर्च भी बताती है कि कीगल्स लिंग में तनाव लाने में बहुत मददगार होती हैं। यह न सिर्फ पुरुषों के लिए, बल्कि महिलाओं के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है [7]।

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तनाव न लें:

  • तनाव आपके शरीर, दिमाग और सेक्स लाइफ सब पर असर डाल सकता है। तनाव से कोर्टिसोल नाम के हार्मोन एक स्तर बढ़    जाता है, जो टेस्टोस्टेरोन को कम करता है। हालांकि ऐसे रिसर्च कम हैं जो यह दिखाएं कि तनाव का इरेक्शन पर क्या असर होता  है, लेकिन कई स्टडीज़ यह बताती हैं कि ज्यादा तनाव आपकी सेक्सुअल संतुष्टि को जरूर कम कर सकता है [8]।
  • तनाव कम करने के लिए आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं, नशे से दूरी बनाकर रखें, रोज एक्सरसाइज करें,अपने मन की बातें किसी से शेयर करें, और जरूरत लगे तो थेरेपी लेना न भूलें।

स्मोकिंग और शराब से दूरी बनाएँ: 

  • सिगरेट मे मौजूद निकोटिन आर्टरीज को सिकोड़ देता है, जिसकी वजह से खून पर्याप्त मात्रा में लिंग तक नहीं पहुंचता, और लिंग में तनाव नहीं आ पाता [9]। स्मोकिंग से एथेरोस्क्लेरोसिस (आर्टरीज में प्लाक जम जाना) भी हो सकता है, जो न सिर्फ इरेक्शन में दिक्कत करता है, बल्कि आपके दिल को भी बीमार बनाता है। रिसर्च बताती है कि जो व्यक्ति स्मोकिंग करते हैं, उनमें ईडी का खतरा नॉन स्मोकर से लगभग दोगुना होता है। 
  • ऐसे ही अगर आप कभी कभी 1 या 2 पेग बीयर या वाइन लेते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन रिसर्च में ये साफ दिखता है कि अगर आप लंबे समय से ज्यादा मात्रा में शराब पी रहे हैं तो यह आपकी सेक्स लाइफ पर नकारात्मक असर डालती है [10]। इन्हें छोड़ने से बीपी, ब्लड फ्लो और इरेक्शन बेहतर होते हैं।

 पोर्न से ब्रेक लें: 

  • वैसे तो पोर्न देखना सेफ है, लेकिन तब तक ही जब तक इसको कभी कभार देखा जाए। अगर आप बहुत ज्यादा पोर्न देखते हैं तो इसका असर आपके दिमाग की सेक्सुअल उत्तेजना पर पड़ता है [11]। इसे अक्सर पोर्न–प्रेरित इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कहा जाता है, क्योंकि यह दिमाग के रिवॉर्ड सिस्टम से छेड़छाड़ करता है, जिनके कारण व्यक्ति उत्तेजित होता है, जिसका असर उसकी यौन क्षमता पर पड़ता है और लिंग में तनाव नहीं आ पाता। ऐसे में ब्रेक लेना और ज़रूरत पर एक्सपर्ट से बात करना फायदेमंद है।

भरपूर नींद लें: 

  • हर दिन 7–8 घंटे की नींद ज़रूरी है। नींद की कमी तनाव और खून के बहाव दोनों पर असर डालती है, जिससे यौन प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है [12]। बार-बार नींद न आने की स्थिति में डॉक्टर से सलाह ज़रूरी है।

अपने पार्टनर से बात करें: 

  • ईडी के बारे में अपने पार्टनर से बात करना किसी भी व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता है। लेकिन बात न करने से पार्टनर को गलतफहमी हो सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, ईडी की वजह से पार्टनर को भ्रम, चिंता, और रिश्ते में धोखे का शक भी होने लगता है [13]। इसलिए खुलकर बात करें, इससे भरोसा बनता है और आप दोनों मिलकर इस समस्या से उबर सकते हैं।

खानपान और पोषण सुधारें:

  • शायद आपको यह जानकार हैरानी हो, लेकिन आप जो खाना रोज खाते हैं, उसका असर सीधा आपकी सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है। अगर आप रोज डब्बाबंद खाना, फास्ट फूड और जंक खाना पसंद करते हैं, तो इन खानों में ज्यादा नमक होने की वजह से नसों में खून का बहाव धीरे धीरे कम होने लगता है। खून का बहाव कम होने से लिंग में तनाव आना मुश्किल हो जाता है।
  • कुछ खाने की चीज़ें शरीर में सूजन भी बढ़ाती हैं, जैसे ज्यादा घी– तेल का खाना, रेड मीट या मैदे की बनी हुई चीज़ें। सूजन बढ़ने से आपका टेस्टोस्टेरोन हार्मोन कम होने लगता है, जिसका असर न सिर्फ आपके इरेक्शन पर पड़ता है, बल्कि आपकी सेक्स करने की इच्छा भी खत्म होने लगती है।

 क्या खाएं:

अपने आप को शारीरिक और यौन रूप से फिट रखने के लिए आप मेडिटरेनियन डाइट ले सकते हैं, जिसमें दालें और फलियाँ, जैसे (चना, मूँग, राजमा), साबुत अनाज (ओट्स, दलिया, राइस, गेहूं की रोटी), नट्स (बादाम, अखरोट), ताज़े फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दूध, दही, पनीर और कभी कभी मछली होती हैं [14]।

 क्या न खाएं:

 बहुत तली-भुनी चीज़ें, मैदे से बनी चीजें, फास्ट फूड और बहुत मीठी चीज़ें।

क्लीनिकल इलाज और दवाइयाँ

PDE5 इन्हिबिटर्स :

  • ये दवाएँ लिंग में खून के बहाव को बढ़ाकर तनाव लाने में मदद करती हैं। इनमें सिल्डेनफिल (वायग्रा), तडालफिल, वॉर्डेनफिल और अवनफिल जैसी दवाएं शामिल हैं।
  • हर दवा का असर और समय अलग होता है, और कौन सी दवा आपके लिए सही है, ये डॉक्टर ही तय कर सकते हैं।

टेस्टोस्टेरोन थेरपी (Testosterone therapy)

अगर ईडी का कारण टेस्टास्टरोन की कमी है तो ऐसे में डॉक्टर्स PDE5 inhibitors के साथ टेस्टोस्टेरोन वाली दवा भी लिख सकते हैं। यह दवाई गोलियों, जेल या पैच के रूप में मिलती है।

अन्य विकल्प:

अगर दवाएं असर नहीं कर रहीं, तो कुछ और विकल्प मौजूद हैं, जैसे:

  • इरेक्शन इंजेक्शन या सपोजिटरी – सीधे लिंग में खून का बहाव बढ़ाते हैं।
  • वैक्यूम डिवाइस – एक पंप की मदद से इरेक्शन लाया जाता है।
  • सर्जरी – जब बाकी सभी उपाय बेअसर हों, तब डॉक्टर पेनाइल इंप्लांट या वैस्कुलर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।

काउंसलिंग: जब इरेक्शन की वजह तनाव हो, और पार्टनर से खुलकर बात न हो सके, ऐसे में काउंसलिंग (सेक्स थेरेपी) कारगर हो सकती है। यह ज्यादा असरदार तब होती है जब पुरुष का पार्टनर भी इलाज में साथ देता है।

ling me tanav lane ke medical treatments

 

क्या न करें

  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा, पाउडर या ड्रिंक न लें

मार्केट में बहुत से ऐसे पाउडर, कैप्सूल, तेल और ड्रिंक मिलते हैं जो दावा करते हैं कि ये लिंग में तुरंत तनाव लाते हैं या मर्दानगी बढ़ाते हैं। लेकिन इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता और इनमें ऐसे केमिकल हो सकते हैं जो आपकी किडनी, लिवर या दिल को नुकसान पहुँचा सकते हैं। कई बार ये दवाएं ब्लड प्रेशर को खतरनाक स्तर तक बढ़ा सकती हैं।

  • रामबाण इलाज वाले विडिओ या घरेलू नुस्खों पर भरोसा न करें। 

इंटरनेट पर ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे जो किसी जड़ी-बूटी या घरेलू चीज़ को “रामबाण इलाज” बताकर बेचते हैं। ये लोग अक्सर उन पुरुषों को निशाना बनाते हैं जो पहले से परेशान और भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं। ऐसे लोगों से बचें।

  • शर्म की वजह से छुपकर इलाज न करें। 

बहुत से लोग शर्म या झिझक की वजह से किसी झोलाछाप डॉक्टर के पास चले जाते हैं, या खुद ही कुछ लेने लगते हैं। ऐसा करने से स्थिति और बिगड़ सकती है। बेहतर होगा कि किसी योग्य डॉक्टर से मिलें और खुलकर बात करें। डॉक्टर आपकी बात को गोपनीय रखेगा और सही इलाज देगा।

 

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