संक्षेप

अगर लिंग की नसों में कमजोरी, तनाव की कमी या इरेक्शन बनाए रखने में दिक्कत हो रही है, तो सबसे तेज़ और सुरक्षित सुधार सही रक्त प्रवाह, तनाव घटाने और पोषण बढ़ाने से आता है। अश्वगंधा, सफेद मुसली, शिलाजीत, जिंक और L-arginine जैसे पोषक तत्व नसों को मजबूत करने में मदद करते हैं। गर्म सेक, हल्की मसाज, ढीले कपड़े, पर्याप्त नींद और धूम्रपान कम करना भी असर को कई गुना बढ़ाता है। अगर अंडकोष या पेडू में लगातार दर्द हो, तो डॉप्लर अल्ट्रासाउंड या यूरोलॉजिस्ट की जांच सबसे सही कदम होता है। सुरक्षित आयुर्वेदिक उपचार और सही सप्लीमेंट मिलकर नसों की ताकत व यौन प्रदर्शन दोनों को बेहतर बना सकते हैं। Why Should You Trust Us?

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लिंग की नसों में दर्द कोई रहस्यमय समस्या नहीं है, इसके पीछे आमतौर पर कुछ बहुत स्पष्ट कारण होते हैं, जैसे दबाव पड़ना, हल्की चोट, संक्रमण या अंदरूनी टिश्यू में बदलाव। समस्या तब होती है जब व्यक्ति यह पहचान नहीं पाता कि उसके मामले में असल वजह क्या है। नीचे उन प्रमुख कारणों और संकेतों को बताया  गया है, जिससे आप जान सकें कि दर्द क्यों होता है और कब इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसे पढ़ने पर आपको स्थिति का सही अंदाज़ा लगाने में मदद मिलेगी।

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क्या आपने कभी लिंग की नसों में दर्द, झनझनाहट या जलन महसूस की है?
हाँ, कई बार
कभी-कभार
सिर्फ एक-दो बार
नहीं, कभी नहीं
पता नहीं / समझ नहीं आता कि यह नसों का दर्द था या कुछ और

लिंग की नसों में दर्द क्यों होता है? (सबसे आम कारण)

1. ज्यादा दबाव या खिंचाव पड़ना

जब लिंग या उसके आसपास बार-बार दबाव पड़ता है या वह ज्यादा खिंच जाता है, तो अंदर की नसें परेशान हो जाती हैं। इससे दर्द, जलन या झनझनाहट होने लगती है। ऐसा अक्सर इन कारणों से होता है:

  • लंबे समय तक कड़ी सीट पर बैठना
  • ज़्यादा समय तक साइकिल चलाना
  • सेक्स के दौरान तेज़ या गलत पोज़िशन
  • लिंग पर अचानक चोट लगना
  • लंबे समय तक इरेक्शन बने रहना

इन स्थितियों में लिंग की नसें इर्रिटेट हो जाती हैं और दर्द देने लगती हैं।

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2. लिंग या लिंग की चमड़ी में इंफेक्शन

कई बार दर्द नसों से नहीं, बल्कि लिंग की चमड़ी या अंदरूनी नली में हुए इन्फेक्शन से शुरू होता है। ये संक्रमण दर्द को नसों तक पहुँचा देते हैं। इन्फेक्शन होने पर ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

  • बार-बार पेशाब करने का मन होना
  • पेशाब करते समय जलन
  • सफेद या पीला डिस्चार्ज
    चमड़ी में लालपन या सूजन

ये सब बताते हैं कि कहीं न कहीं इन्फेक्शन है। अगर इन्फेक्शन फैल जाता है, तो लिंग की नसों में भी जलन और दर्द महसूस होने लगता है।[1]

penile nerve pain ke common causes

3. लिंग के अंदर टिश्यू में समस्या (कठोरपन बनना)

कुछ लोगों में लिंग के अंदर एक तरह का कठोर हिस्सा बन जाता है, जिससे इरेक्शन के समय दर्द हो सकता है और लिंग का आकार भी थोड़ा मुड़ सकता है। इसे मेडिकल भाषा में Peyronie’s disease (पेयरोनी डिजीज) कहते हैं।[2]

4. प्रोस्टेट की सूजन

प्रोस्टेट एक छोटी-सी ग्रंथि (Gland) होती है जो लिंग के अंदर तरल बनाने में मदद करती है। जब इस ग्रंथि (Gland) में सूजन हो जाती है तो दर्द सिर्फ वहीं नहीं, बल्कि:

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  • लिंग में
  • पेल्विक एरिया में
  • जांघों के ऊपर वाले हिस्से में भी महसूस होने लगता है।

कई बार यह दर्द खिंचाव, भारीपन या जलन जैसा लगता है। पेशाब करने में भी परेशानी हो सकती है।[3]

5. डायबिटीज या नसों की कमज़ोरी

अगर किसी को लंबे समय से डायबिटीज (शुगर) है, तो उसके शरीर की छोटी-छोटी नसें समय के साथ कमजोर होने लगती हैं। लिंग में भी नसें होती हैं, इसलिए वहां पर भी असर दिख सकता है:

  • जलन
  • सुन्नपन (जैसे महसूस ही न हो रहा हो)
  • हल्का-हल्का दर्द या झटके जैसा एहसास

इन समस्याओं का कारण नसों का कमज़ोर होना होता है।

6. लंबे समय तक बैठते रहना

बहुत देर तक एक ही पोज़िशन में बैठने से नीचे वाले हिस्से (पेरिनियम) पर दबाव पड़ता है। यह दबाव:

  • नसों को चुभता है
  • खून के बहाव को धीमा करता है
  • और लिंग तक जा रही नसों को irritate करता है

इससे लिंग में झनझनाहट, हल्का दर्द, या सुन्नपन महसूस हो सकता है। यह खासकर उन लोगों में ज़्यादा होता है जो ऑफिस चेयर पर लम्बे समय तक बैठे रहते हैं या बहुत ड्राइविंग करते हैं।

कई मरीज मान लेते हैं कि दर्द का मतलब कुछ गंभीर है, जबकि वास्तविकता यह है कि शुरुआती जांच से ही हम साफ पता लगा लेते हैं कि चिंता वाली बात है या नहीं। सही जानकारी घबराहट से हमेशा बेहतर होती है।

कब आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए?

kab aapko doctor ke pas apne ling ki naso me dard ke liye jana chahiye

लिंग की नसों में हल्का दर्द कभी-कभी खुद ही ठीक हो सकता है, लेकिन कुछ हालात ऐसे होते हैं जहाँ समय पर डॉक्टर से मिलना बहुत ज़रूरी होता है,अगर:

  • अचानक बहुत तेज़ दर्द हो जाए: अगर बिना किसी वजह के, या किसी हल्की से हरकत के बाद, लिंग में तेज़ चुभन, करंट जैसा दर्द, या अचानक झटका लगे, तो इसे हल्के में न लें। यह नस या टिश्यू की गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
  • लिंग में सूजन, नील पड़ जाए, या “पॉप” जैसी आवाज़ आए: अगर सेक्स के दौरान या किसी गलत मोड़ से लिंग अचानक मुड़ जाए, “टुक” या “पॉप” जैसी आवाज़ सुनाई दे या तुरंत सूजन, दर्द या नील पड़ जाए, तो यह penile fracture (लिंग की अंदरूनी चोट) का संकेत हो सकता है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है। तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है।
  • बुखार, लालपन या डिस्चार्ज आना: अगर लिंग की चमड़ी में सूजन है, या पेशाब की नाली में कोई इन्फेक्शन है या फिर कोई यौन संचारित रोग है, तो इसका समय पर इलाज कराना चाहिए।
  • पेशाब में जलन या खून आना: अगर पेशाब करते वक्त जलन, तेज दर्द हो या पेशाब में खून दिखे, तो यह UTI, स्किन इंफेक्शन, या पेशाब की नली की irritation का संकेत है। इन्हें अनदेखा करने पर दर्द लिंग की नसों तक फैल सकता है।
  • दर्द 1–2 हफ्ते में भी ठीक न हो: अगर दर्द धीरे-धीरे कम होने के बजाय वहीं का वहीं बना हुआ है या दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, तो यह किसी अंदरूनी नस, टिश्यू या संक्रमण की समस्या का संकेत हो सकता है, जिसे जांच की जरूरत है।
  • बैठने से दर्द बढ़ जाता है: अगर बैठते ही जलन बढ़ती है, असहजता होती है या लिंग के निचले हिस्से में दर्द उभर आता है, तो यह पेल्विक नर्व पर दबाव (जैसे pudendal nerve irritation) का संकेत हो सकता है। यह खुद-से ठीक नहीं होता, डॉक्टर या फिजियो थेरेपिस्ट की सलाह जरूरी है।

ling ki naso me dard ke wo symptoms jab aapo doctor ke pas jana chahiye

पेनिस की नसों में दर्द कैसे ठीक किया जाता है?

  • अपने रोज़ के तरीके सुधारें
    • लंबे समय तक न बैठें
    • साइकिल पर नरम सीट या कट-आउट सीट का उपयोग करें
    • सेक्स में बहुत जोर न लगाएँ
    • tight कपड़े न पहनें
  • पेल्विक-फ्लोर एक्सरसाइज़ / फिजियोथेरेपी: कुछ लोग कमर और नीचे के एरिया में ज़्यादा कसाव लेकर चलते हैं, जिससे लिंग की नसें दब जाती हैं। फिजियोथेरेपी इसे ठीक करने में काफी मदद करती है।
  • नसों के दर्द को कम करने वाली दवाएँ: डॉक्टर जरूरत के अनुसार ऐसी दवाएँ देते हैं जो जलन और झटके जैसे दर्द को कम करती हैं। (साधारण painkiller कई बार काम नहीं करते।)
  • इंफेक्शन का इलाज: अगर समस्या इंफेक्शन की है तो एंटीबायोटिक या एंटी-फंगल दवाएँ दी जाती हैं।
  • गंभीर मामलों में nerve block या सर्जरी: बहुत कम मामलों में, जब कुछ और काम न करे, तो विशेषज्ञ नर्व ब्लॉक या माइनर सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं।

निष्कर्ष 

अगर दर्द बार-बार आ रहा है, तेज़ है, या कुछ भी “अजीब” लग रहा है, तो डॉक्टर को दिखाना सबसे सही कदम है। जल्दी जांच करवाने से कारण साफ हो जाता है और इलाज भी समय पर मिल जाता है। अपने शरीर की आवाज़ सुनें, यह आपको हमेशा सही दिशा देता है।

 

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