शुक्राणुओं (स्पर्म काउंट) बढ़ाने के घरेलू उपाय: आहार, व्यायाम और प्राकृतिक तरीके
आज के समय में कई भारतीय पुरुष संतान न होने, बार-बार थकान, यौन कमजोरी या आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन इसकी जड़ अक्सर “कम स्पर्म काउंट” में छुपी होती है। बदलती लाइफस्टाइल, बढ़ता मानसिक दबाव, अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान ने पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर चुपचाप असर डालना शुरू कर दिया है। स्पर्म काउंट सिर्फ पिता बनने की क्षमता से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि यह पुरुषों के हार्मोनल स्वास्थ्य, ऊर्जा स्तर और संपूर्ण शारीरिक संतुलन का भी संकेत देता है। अच्छी बात यह है कि सही जानकारी, संतुलित जीवनशैली और प्राकृतिक उपायों की मदद से इसे सुधारा जा सकता है।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि स्पर्म काउंट क्या होता है, भारतीय पुरुषों में इसके कम होने के कारण क्या हैं, इसे प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से कैसे बेहतर किया जा सकता है, और कब डॉक्टर से मिलना ज़रूरी हो जाता है।
स्पर्म काउंट क्या होता है और क्यों जरूरी है?
स्पर्म काउंट का मतलब है वीर्य में मौजूद शुक्राणुओं की संख्या। सामान्य रूप से 1 ml वीर्य में 15 मिलियन से अधिक स्पर्म होना स्वस्थ माना जाता है [1]। कम स्पर्म काउंट गर्भधारण (प्रेग्नेंट होने ) में परेशानी का कारण बन सकता है और यह शरीर के अंदर चल रही किसी गड़बड़ी की तरफ इशारा भी कर सकता है।
भारतीय पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने के मुख्य कारण
- बहुत ज्यादा मानसिक तनाव और आर्थिक दबाव [2]
- देर रात तक जागना और अनियमित नींद
- जंक फूड और प्रोसेस्ड खाना
- बाइक/स्कूटर पर लंबा समय
- टाइट अंडरवियर पहनना
- स्मोकिंग और शराब [3]
- बहुत गर्म वातावरण
- प्लास्टिक की बोतलों का ज्यादा इस्तेमाल
एक भारतीय सर्वे के अनुसार, शहरी युवाओं में यह समस्या ग्रामीण युवाओं की तुलना में अधिक देखी जा रही है [4]।

स्पर्म काउंट बढ़ाने के असरदार घरेलू उपाय
1. अश्वगंधा और दूध
रात को सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ 1 चम्मच अश्वगंधा लेने से टेस्टोस्टेरोन और स्पर्म क्वालिटी में सुधार हो सकता है।
2. भीगे बादाम और अखरोट
सुबह खाली पेट 5-6 भीगे बादाम और 2 अखरोट लेने से शरीर को जरूरी फैटी एसिड और जिंक मिलता है।
3. आंवला और शहद
1 चम्मच आंवला रस में शहद मिलाकर रोज़ सेवन करने से शुक्राणुओं की सेहत बेहतर हो सकती है।
4. जीरा वाला दूध
रात को आधा चम्मच जीरा गुनगुने दूध में मिलाकर पीने से पाचन और हार्मोन बैलेंस में मदद मिलती है।
5. देसी घी और खजूर
यह मिश्रण शरीर को ऊर्जा देने के साथ वीर्य की गुणवत्ता सुधारने में सहायक हो सकता है।
स्पर्म काउंट बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय
आयुर्वेद के अनुसार कम स्पर्म काउंट और कमजोर क्वालिटी को “शुक्र धातु की कमजोरी” कहा जाता है। आयुर्वेद मानता है कि जब शरीर की पाचन शक्ति (अग्नि) कमजोर होती है, तनाव बहुत ज्यादा होता है और जीवनशैली असंतुलित रहती है, तो उसका सीधा असर शुक्र धातु पर पड़ता है। यही कारण है कि सिर्फ दवा नहीं, बल्कि पूरे शरीर को संतुलन में लाना आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य है।
उपयोगी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ

- शिलाजीत: यह शरीर की ऊर्जा बढ़ाने और टेस्टोस्टेरोन स्तर को संतुलित करने में सहायक माना जाता है। यह स्पर्म काउंट के साथ-साथ स्टैमिना और यौन क्षमता सुधारने में भी मदद कर सकता है।
- सफेद मूसली: इसे प्राकृतिक अफ्रोडायसिक माना जाता है। यह कमजोर शुक्र धातु को मजबूत करने, स्पर्म की गतिशीलता (motility) बढ़ाने और शरीर की ताकत सुधारने में उपयोगी हो सकती है।
- कौंच बीज: यह नर्व सिस्टम को मजबूत करता है और हार्मोनल संतुलन में मदद करता है। इसके नियमित और नियंत्रित सेवन से स्पर्म काउंट व क्वालिटी में सुधार देखा जा सकता है।
ध्यान रखें: ये सभी जड़ी-बूटियाँ असरदार जरूर हो सकती हैं, लेकिन हर शरीर की प्रकृति अलग होती है। इसलिए इनका सेवन बिना विशेषज्ञ की सलाह के न करें, खासकर अगर आप पहले से कोई दवा ले रहे हैं या किसी बीमारी से ग्रस्त हैं।
फर्टिलिटी सिर्फ स्पर्म की संख्या पर नहीं, बल्कि क्वालिटी, मोटिलिटी और हार्मोनल संतुलन पर भी निर्भर करती है। इसलिए पुरुषों के लिए यह समझना ज़रूरी है कि छोटी-छोटी आदतें भी प्रजनन क्षमता पर बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं।
स्पर्म क्वालिटी कैसे पहचानें?
अक्सर लोग सिर्फ संख्या पर ध्यान देते हैं, लेकिन असल में स्पर्म की गुणवत्ता (Quality) गर्भधारण की संभावना को अधिक प्रभावित करती है। अच्छी क्वालिटी वाले स्पर्म ज्यादा ताकतवर होते हैं, सही तरीके से मूव करते हैं और गर्भधारण में मदद करने की बेहतर क्षमता रखते हैं।
बेहतर स्पर्म के मुख्य संकेत
- रंग: वीर्य का रंग हल्का सफेद या ग्रे होना सामान्य और स्वस्थ माना जाता है। पीला या हरा रंग संक्रमण का संकेत हो सकता है।
- मोटिलिटी: स्वस्थ स्पर्म तेजी से और सीधी दिशा में आगे बढ़ते हैं। सुस्त या धीमी गति वाली मोटिलिटी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है।
- टेक्सचर: वीर्य का टेक्सचर स्मूद और हल्का गाढ़ा होना बेहतर माना जाता है। बहुत पतला या बहुत गाढ़ा होना असंतुलन का संकेत हो सकता है।
- गंध और जलन: सामान्य वीर्य में तीखी जलन या असहज गंध नहीं होनी चाहिए। पेशाब या स्खलन के समय जलन होना इन्फेक्शन या सूजन की ओर इशारा कर सकता है।
स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए?
हाल की स्टडीज़ के अनुसार, जिन पुरुषों की डाइट में जिंक, सेलेनियम और एंटीऑक्सिडेंट्स पर्याप्त मात्रा में थे, उनमें स्पर्म काउंट और मोटिलिटी स्पष्ट रूप से बेहतर पाई गई। इसका मतलब है कि केवल पेट भरना नहीं, बल्कि पोषण से भरपूर खाना फर्टिलिटी के लिए जरूरी है। [5][6]

फायदेमंद फूड्स:
- हरी सब्जियाँ: पालक, मेथी, सरसों
- फल: अनार, केला, पपीता
- दालें: मूंग, मसूर, चना
- बीज: कद्दू, अलसी, सूरजमुखी
- मसाले: हल्दी, लहसुन, अदरक
स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए योग और लाइफस्टाइल सुधार
सिर्फ खानपान ही नहीं, बल्कि आपकी दिनचर्या भी स्पर्म काउंट पर गहरा असर डालती है। रिसर्च यह भी बताती है कि जिन लोगों ने नियमित व्यायाम और स्ट्रेस मैनेजमेंट अपनाया, उनमें हार्मोन बैलेंस बेहतर हुआ और फर्टिलिटी पर सकारात्मक असर देखने को मिला।[7] इसलिए अगर आप नेचुरल तरीके से स्पर्म की संख्या बढ़ाना चाहते हैं, तो योग और लाइफस्टाइल बदलाव को नजरअंदाज न करें।
स्पर्म हेल्थ के लिए लाभकारी योगासन
ये योगासन शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर करते हैं, तनाव कम करते हैं और प्रजनन अंगों को एक्टिव रखने में मदद करते हैं:
- भुजंगासन: यह पेट और पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को मजबूत करता है और स्पर्म प्रोडक्शन में सहायक माना जाता है।
- सर्वांगासन: इसे “सभी आसनों का राजा” भी कहा जाता है। यह हार्मोन बैलेंस सुधारने और थायरॉइड को संतुलित रखने में मदद करता है।
- कपालभाति: यह शरीर को डिटॉक्स करता है, पेट की चर्बी कम करता है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है, जो स्पर्म हेल्थ के लिए ज़रूरी है।
- अनुलोम-विलोम: यह तनाव कम करने और दिमाग को शांत रखने में बहुत असरदार है, जिससे हार्मोनल असंतुलन कम होता है।
स्पर्म हेल्थ के लिए जरूरी लाइफस्टाइल बदलाव
छोटी-छोटी आदतें भी बड़ा फर्क डाल सकती हैं [7]:
- रोज़ 7–8 घंटे की पूरी नींद लें
- बहुत टाइट अंडरवियर की बजाय ढीले और कॉटन अंडरवियर पहनें
- मोबाइल गोद में रखकर लैपटॉप चलाने से बचें (गर्मी स्पर्म को नुकसान पहुँचा सकती है)
- स्मोकिंग और बहुत ज्यादा शराब से दूरी बनाएं
- स्क्रीन टाइम कम करें
- तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन या वॉक अपनाएं
ये सभी बदलाव स्पर्म काउंट ही नहीं, बल्कि उसकी क्वालिटी को भी बेहतर बनाते हैं।
डॉक्टर से मिलना कब जरूरी है?
अगर नीचे दिए गए लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी हो जाता है:
- 6 से 12 महीने कोशिश के बाद भी प्रेग्नेंट न हो पाना
- बार-बार इरेक्शन की समस्या
- वीर्य में जलन, दर्द या असामान्य रंग
- बिना कारण अत्यधिक थकान
- यौन इच्छा में कमी
इन्हें नजरअंदाज करना भविष्य की फर्टिलिटी पर असर डाल सकता है।

स्पर्म काउंट के लिए की जाने वाली संभावित जांचें
समस्या की सही वजह जानने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट सुझा सकते हैं, इन जांचों से समस्या का कारण स्पष्ट होता है और सही इलाज शुरू किया जा सकता है:
- वीर्य जांच (Semen Analysis): स्पर्म काउंट, मोटिलिटी और क्वालिटी देखने के लिए
- हार्मोन टेस्ट: टेस्टोस्टेरोन व अन्य हार्मोन की स्थिति जानने के लिए
- अल्ट्रासाउंड: अंडकोष और नसों की स्थिति जांचने के लिए
निष्कर्ष
स्पर्म काउंट सुधारना एक रात की प्रक्रिया नहीं है। सही आदतें, योग, संतुलित खानपान और मानसिक शांति समय के साथ सकारात्मक परिणाम देती हैं। भारतीय पुरुष अगर संतुलित डाइट, सही नींद, योग, और जरूरी मेडिकल सलाह अपनाएं, तो प्राकृतिक रूप से फर्टिलिटी में सुधार संभव है।
"निम्नलिखित लेख विभिन्न विषयों पर सामान्य जानकारी प्रदान करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रस्तुत की गई जानकारी किसी विशिष्ट क्षेत्र में पेशेवर सलाह के रूप में नहीं है। यह लेख केवल शैक्षिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है।"
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