वियाग्रा का असर ज़्यादा लग रहा है? कारण, बचाव और सुरक्षित तरीके
वियाग्रा का असर ज़्यादा इसलिए लगता है क्योंकि कभी-कभी मात्रा ज़्यादा होती है, भारी खाना या शराब साथ ले ली जाती है, दूसरी दवाओं से टकराव हो जाता है, या उम्र और स्वास्थ्य के कारण दवा शरीर में ज़्यादा देर तक रहती है। असर कम करने के लिए दवा दोबारा न लें, पानी पिएं, उत्तेजना कम करें और अगली बार डॉक्टर से पूछकर कम मात्रा लें। लेकिन अगर चार घंटे से ज़्यादा इरेक्शन रहे, छाती में दर्द हो, या अचानक देखने–सुनने में दिक्कत आए तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। कुल मिलाकर, वियाग्रा तभी सुरक्षित है जब सही मात्रा, सही समय और डॉक्टर की सलाह के साथ ली जाए।
कई पुरुषों के लिए वियाग्रा जैसा उपचार उम्मीद देता है, पर कभी-कभी इसका असर ज़रूरत से अधिक तीव्र महसूस होता है, तेज़ धड़कन, चेहरा गरम होना, सिर में दर्द, रंगों में नीलापन दिखना, या दबाव अचानक गिर जाना। कई पुरुषों को ऐसा महसूस होता है, और अच्छी खबर ये है कि वैज्ञानिक तरीकों से इस असर को कम, कंट्रोल, और सेफ बनाया जा सकता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे वायग्रा शरीर में कैसे काम करती है और इसके असर को कम करने वाले साइअन्टिफिक प्रूवन तरीके।
वियाग्रा का असर कैसे शुरू होता है ?
वियाग्रा यानि सिलड़ेनाफिल शरीर में एक विशेष प्रकार के एंज़ाइम PDE-5 enzyme को रोककर लिंग में रक्त प्रवाह बढ़ाती है। यह प्रभाव तभी होता है जब उत्तेजना मौजूद हो। यह दवा भोजन के बाद धीमी गति से काम करती है और इसका प्रभाव आधे से चार घंटे तक रह सकता है।
मुख्य कारण जिनसे असर अधिक लगता है:
आवश्यकता से अधिक मात्रा का सेवन
जब कोई व्यक्ति वियाग्रा की आवश्यकता से अधिक मात्रा ले लेता है, तो दवा शरीर में बहुत ज़्यादा सक्रिय हो जाती है और उसका प्रभाव अचानक बढ़ जाता है। इससे लिंग में रक्त प्रवाह सामान्य से कहीं तेज़ हो जाता है, जिसके कारण सिर में तेज़ भारीपन, चेहरे का ज्यादा लाल होना और दिल की धड़कन बढ़ने जैसे लक्षण तुरंत महसूस हो सकते हैं।
गलत खान पान
जब वियाग्रा को भारी या ज़्यादा तैलीय खाने के साथ, शराब या धूम्रपान के सेवन के साथ लिया जाता है, तो पेट का पाचन धीमा हो जाता है। ऐसे में दवा तुरंत रक्त में नहीं पहुँचती, बल्कि धीरे–धीरे घुलती है। इसका असर यह होता है कि दवा काम देर से शुरू करती है, लेकिन शुरू होने के बाद शरीर में अधिक समय तक बनी रहती है। इसी वजह से कई लोगों को लगता है कि दवा का असर ज़रूरत से ज़्यादा हो रहा है या सिर में भारीपन जैसा महसूस हो रहा है, क्योंकि दवा का प्रभाव सामान्य से अधिक देर तक टिक जाता है।
ड्रग इंटरेएक्शन
जब वियाग्रा के साथ कुछ दूसरी दवाएँ ली जाती हैं, तो वे इसके असर को बहुत बढ़ा देती हैं और दवा शरीर में ज़्यादा देर तक टिकती रहती है। खासकर दिल की दवाएँ, रक्तचाप कम करने वाली दवाएँ और कुछ अन्य दवाएँ। इनसे वियाग्रा के साइड एफएक्टस भी अधिक दिखाई दे सकते हैं क्योंकि दवा ठीक से बाहर नहीं निकल पाती।
ज्यादा उम्र और अन्य रोग
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है या शरीर के कुछ अंगों की काम करने की क्षमता कम होती है, शरीर वियाग्रा को तोड़ने और बाहर निकालने में ज़्यादा समय लेता है। इससे दवा का असर सामान्य से तेज़ भी लग सकता है और लंबे समय तक भी बना रह सकता है। ऐसे में थकान, चक्कर आना या चेहरे का गरम महसूस होना जैसे लक्षण भी बढ़ सकते हैं। इसी वजह से उम्रदराज़ लोगों को आमतौर पर कम मात्रा से दवा शुरू कराई जाती है।
वियाग्रा का असर कैसे कम करें?
किसी भी यौन–सम्बंधी दवा, खासकर वियाग्रा जैसी तीव्र प्रभाव वाली दवा, केवल डॉक्टर की पर्ची पर ही लेनी चाहिए। अपने स्तर पर दवा लेना या मात्रा बदलना खतनाक हो सकता है। यदि आपने दवा ले ली है और अब उसका प्रभाव ज़रूरत से ज़्यादा महसूस हो रहा है, तो सबसे घबराने की ज़रूरत नहीं है। पहले डॉक्टर से संपर्क करना ही सुरक्षित कदम है। इसके बाद कुछ ऐसे तरीके हैं जिन्हें वियाग्रा के प्रभाव को संतुलित करने में सहायक बताया है। नीचे वही प्रमाणित उपाय दिए गए हैं।
मात्रा कम करना
यदि वियाग्रा की सामान्य मात्रा आपको अधिक लगती है, तो अगली बार डॉक्टर से सलाह लेकर कम मात्रा से शुरुआत करें। क्योंकि कम मात्रा लेने पर दवा का रक्त में स्तर नियंत्रित रहता है और चेहरा गरम होना, सिर में भारीपन या चक्कर जैसी समस्याएँ कम दिखाई देती हैं।
खाली पेट दवा न लें, हल्का भोजन रखें
खाली पेट दवा लेने से यह शरीर में तेज़ी से अवशोषित होती है और कई बार असर ज़्यादा महसूस होने लगता है, इसलिए दवा हमेशा हल्के भोजन के बाद लेना बेहतर होता है। इससे असर धीरे शुरू होता है और शरीर पर भार नहीं पड़ता। पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखना भी बहुत ज़रूरी है, क्योंकि पानी की कमी होने पर सिर भारी लगना, कमजोरी और गरमी और अधिक महसूस होती है, जबकि सही हाइड्रेशन दवा को शरीर से जल्दी बाहर निकालने में मदद करता है।
मानसिक और शारीरिक उत्तेजना कम करें
कई बार दवा का असर इसलिए भी ज़्यादा महसूस होता है क्योंकि मानसिक या शारीरिक उत्तेजना बहुत अधिक होती है। क्योंकि वियाग्रा केवल उत्तेजना मिलने पर ही सक्रिय होती है, इसलिए उत्तेजना को थोड़ा कम करने से रक्त प्रवाह का दबाव कम होता है और दवा का असर भी धीरे-धीरे हल्का पड़ने लगता है।
दवा को दोबारा न लें
सबसे ज़रूरी बात यह है कि दवा को किसी भी हालत में दोबारा न लें। कई लोग असर कम या ज़्यादा महसूस होने पर दूसरी गोली खाने की गलती कर देते हैं, जो शरीर में दवा का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ा सकती है और दिल, रक्तचाप और दृष्टि पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। 24 घंटे में एक से अधिक खुराक लेना किसी भी हालत में सुरक्षित नहीं है और इससे जान का भी ख़तरा हो सकता है।
डॉक्टर से मिलन जरूरी क्यूँ है?
वियाग्रा का असर कभी-कभी शरीर पर इतना तेज़ पड़ सकता है कि इसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो जाता है। अगर दवा लेने के बाद आपको लक्षण सामान्य से अधिक, असहज या डराने वाले लगें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। सबसे गंभीर संकेतों में से एक है लिंग का चार घंटे से अधिक समय तक खड़ा रहना। यह स्थिति बाद में समस्या पैदा कर सकती है, इसलिए बिना देरी चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए।
कभी-कभी अचानक दृष्टि धुंधली होना, आंखों के सामने धुंधलापन या रोशनी में परेशानी महसूस होना भी संकेत होता है कि दवा का असर आंखों की नसों पर पड़ रहा है। इसी तरह कानों में अचानक सीटी बजने लगना, सुनाई न देना या संतुलन बिगड़ना भी चेतावनी देता है कि शरीर इस दवा को सहन नहीं कर पा रहा।
अगर दवा लेने के बाद छाती में दबाव, दर्द या असुविधा महसूस हो, साँस फूलने लगे, या शरीर पर पसीना आने के साथ बेचैनी बढ़ने लगे, तो इसे हल्के में बिल्कुल न लें। यह हृदय पर पड़ने वाले दबाव का संकेत हो सकता है और तुरंत डॉक्टर की जरूरत होती है।
कुछ लोगों में चेहरे, होंठ, जीभ या गले में अचानक सूजन आने लगती है, सांस लेने में परेशानी होती है या पूरे शरीर पर लाल उभार और खुजली दिखाई देती है। यह गंभीर एलर्जी का रूप हो सकता है, इसलिए तुरंत चिकित्सा सहायता जरूरी है।
यदि कभी भी आपको लगे कि दवा लेने के बाद शरीर पहले जैसा नहीं लग रहा, धड़कन बहुत तेज़ है, चक्कर आने का मन हो रहा है, या खड़े होने में कठिनाई हो रही है, तो इंतजार न करें। ऐसे सभी संकेत बताते हैं कि दवा आपके शरीर में सामान्य से अधिक तीव्रता से काम कर रही है और डॉक्टर से तुरंत बात करना ही सबसे सुरक्षित कदम है।
निष्कर्ष
वियाग्रा का सुरक्षित उपयोग तभी संभव है जब इसे डॉक्टर की सलाह से, सही मात्रा में और सही समय पर लिया जाए। खाली पेट दवा लेने से इसका असर तेज़ हो सकता है, जबकि भारी भोजन इसका असर देर से शुरू करता है लेकिन लंबे समय तक बनाए रख सकता है। शरीर में पानी की कमी, शराब, नींद की कमी और उम्र बढ़ने जैसी स्थितियाँ दवा को धीरे-धीरे बाहर निकलने देती हैं, जिससे प्रभाव सामान्य से ज़्यादा महसूस हो सकता है। यदि असर अधिक लगे तो शांत रहकर पानी पिएं, हल्की सांसें लें, उत्तेजना कम करें और जल्द ही डॉक्टर से सलाह लें। अचानक दृष्टि या सुनाई में बदलाव, छाती में दर्द, बहुत तेज़ चक्कर या चार घंटे से ज़्यादा का इरेक्शन, ये सभी संकेत तुरंत चिकित्सा सहायता की मांग करते हैं।
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