इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (नपुंसकता) क्या है?
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क्या आपको भी कभी ऐसा लगता है कि आपका सेक्स करने का मन तो है, लेकिन लिंग में तनाव ही नहीं आ रहा, या फिर सेक्स के दौरान लिंग बहुत जल्दी ढीला पड़ जाता है?
अगर ऐसा बार बार हो रहा हो तो हो सकता है आपको स्तंभन दोष/इरेक्टाइल डिस्फंक्शन/ईडी की समस्या हो। पहले इसे आम बोलचाल में ’नपुंसकता’ बोला जाता था, लेकिन अब इसको एक बीमारी के तौर पर पहचाना जाता है।
वैसे तो यह 40 की उम्र के बाद की आम समस्या है [1], लेकिन आजकल तनाव भरी जिंदगी की वजह से ये युवाओं में भी दिखाई देने लगी है। आज भी अपने देश में ज्यादातर पुरुष डर या शर्म के चलते इसके बारे में बात नहीं करना चाहते। लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती कि ईडी कई बार शरीर में किसी गहरी गड़बड़ी जैसे दिल की बीमारी, डायबिटीज़ या हाई बीपी का इशारा भी हो सकती है।
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि इसके कारण क्या हो सकते हैं, किन लक्षणों से इसे पहचाना जा सकता है, और इससे उबरने के लिए क्या-क्या इलाज उपलब्ध हैं।
क्या और क्यों होता है ईडी?
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ईडी) या नपुंसकता एक ऐसी स्थिति होती है जिसमे पुरुषों को लिंग में तनाव लाने या बनाए रखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि उनके अंदर उत्तेजना की कमी हो, बल्कि शरीर मे खून का बहाव, हॉर्मोन का स्तर काम होना या नसों में कुछ गड़बड़ी की वजह से ऐसी समस्या आती है। इसके पीछे और भी कई वजहें हो सकती हैं, और ये शारीरिक से लेकर मानसिक तक हो सकती हैं। जब आप इन कारणों को समझेंगे, तब ही इलाज भी ज़्यादा प्रभावी होगा। तो चलिए, जानते हैं ईडी के कुछ सामान्य कारण:
- शारीरिक कारण:
ईडी के लगभग 70% मामलों का जिम्मेदार कोई न कोई शारीरिक कारण होता है [1], जैसे:
- खून की नालियों की दिक्कत: जब आर्टरीज़ सख्त हो जाती हैं, जिसे atherosclerosis कहा जाता है, तो लिंग तक खून पहुँचने में रुकावट आती है। इरेक्शन के लिए अच्छा खून का बहाव ज़रूरी है, इसलिए अगर हार्ट या बीपी की दिक्कत हो, तो ईडी हो सकता है।[2]
- हार्मोनल असंतुलन: टेस्टोस्टेरोन आपकी सेक्स ड्राइव (सेक्स करने की इच्छा) और इरेक्शन दोनों को प्रभावित करता है [3]। थायरॉइड ग्लैन्ड की गड़बड़ी से मेटाबॉलिज़्म बिगड़ता है, और शरीर मे एनर्जी नहीं रह जाती, जिसका सीधा असर यौन स्वास्थ्य पर पड़ता है।
- कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट: कुछ दवाइयाँ (हाई बीपी, डिप्रेशन, या कैंसर की) नसों और हार्मोनल बैलेंस को प्रभावित करती हैं, जिससे इरेक्शन मुश्किल हो जाता है। अगर आप कोई दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर से बात करके चेक कर लें कि उसका असर यौन स्वास्थ्य पर तो नहीं पड़ रहा।
- सर्जरी या चोट: प्रोस्टेट, ब्लैडर या रीढ़ की हड्डी की सर्जरी से जुड़ी नसों या आर्टेरीज़ को नुकसान हो सकता है, जिससे इरेक्शन का सिग्नल सही से नहीं आता।
- खराब जीवनशैली: मोटापा, शराब और स्मोकिंग से खून का बहाव कम होता है, और ऐसी जीवनशैली के कारण थकान बढ़ती है। नियमित व्यायाम और संतुलित डाइट रखें। ऐसी छोटी-छोटी आदतें बड़ा फर्क ला सकती हैं [4]।
- मानसिक और भावनात्मक कारण:
ईडी सिर्फ शरीर की ही नहीं, दिमाग की बीमारी भी होती है। आइए देखते हैं, किन किन मानसिक वजहों से ईडी होने का खतरा बढ़ सकता है:
- डिप्रेशन और चिंता: जब कोई व्यक्ति अवसाद (डिप्रेशन) से घिरा हुआ होता है, तो इसका उसके मूड, एनर्जी, और भावनाओं पर गहरा असर पड़ता है, जिससे ईडी की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं, क्योंकि इरेक्शन में दिमाग की भी बड़ी भूमिका होती है। रिसर्च से पता चलता है कि लगभग 5–12% पुरुषों में ईडी और अवसाद साथ-साथ पाए जाते हैं।[5]
- तनाव: लगातार काम का या व्यक्तिगत जीवन का तनाव कोर्टिसोल जैसे हार्मोन को बढ़ा देता है [6], जो यौन उत्तेजना और खून के बहाव के लिए ज़रूरी नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन को दबा सकता है, जिससे इरेक्शन आने में मुश्किलें बढ़ जाती हैं
- रिश्तों में दूरियाँ: जब आप और आपका पार्टनर खुलकर बात नहीं करते, तो छोटी-छोटी बातें भी बड़े मुद्दे बन जाती हैं, जिसका असर आपके संबंधों मे भी देखने को मिल सकता है।
- प्रदर्शन की चिंता (Performance anxiety): “क्या मैं परफॉर्म कर पाऊँगा?” इस सवाल का बार-बार आना आपके दिमाग में दबाव पैदा करता है और इरेक्शन से जुड़ी प्राकृतिक प्रक्रिया को बाधित कर देता है [7]।
- सेक्स को लेकर शर्म या अपराधबोध: सेक्स को लेकर गलतफहमियाँ, शर्म या अपराधबोध अक्सर अनजाने में सेक्स लाइफ खराब कर देते हैं। याद रखें, यह एक स्वस्थ और प्राकृतिक क्रिया है, जिसमे शर्माने की कोई बात नहीं। [8]
ईडी के लक्षण
हर व्यक्ति में ईडी के लक्षण थोड़े अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ संकेत आम होते हैं जिन पर तुरंत ध्यान देना चाहिए:
- उत्तेजना के बावजूद लिंग में तनाव न आना
- शुरुआत में तनाव आना, लेकिन सेक्स के दौरान ढीलापन आ जाना
- सेक्स की इच्छा (लिबिडो) में कमी महसूस होना
- सेक्स को लेकर बार-बार घबराहट या तनाव होना
- बहुत ही कम बार या कभी–कभार ही इरेक्शन होना
ईडी के प्रकार
- वैस्कुलर ईडी (खून के बहाव से जुड़ा)
जब लिंग में पर्याप्त मात्रा में खून नहीं पहुंचता या खून रुक नहीं पाता, तो इरेक्शन में दिक्कत होती है। यह सबसे आम प्रकार होता है।
- न्यूरोजेनिक ईडी (नसों से जुड़ा)
जब दिमाग से लिंग तक सिग्नल पहुंचाने वाली नसों में गड़बड़ी होती है, जैसे– स्ट्रोक या रीढ़ की चोट।

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- हार्मोनल ईडी (हार्मोन से जुड़ा)
टेस्टोस्टेरोन की कमी या थायरॉइड जैसे हार्मोनल असंतुलन से भी इरेक्शन में परेशानी हो सकती है।
- साइकोजेनिक ईडी (मानसिक कारणों से)
तनाव, डिप्रेशन या सेक्स को लेकर डर जैसी मानसिक स्थितियां भी इरेक्शन को रोक सकती हैं।
अगर बार-बार इरेक्शन में दिक्कत आ रही है, तो यह आपके दिल की सेहत या हार्मोनल बैलेंस का संकेत भी हो सकता है। इसे नजरअंदाज़ न करें।
ईडी का उपचार:
ईडी के सही इलाज का चयन मरीज़ की स्थिति पर निर्भर करता है कि उसके लिए कौन का विकल्प फायदेमंद रहेगा।
डॉक्टर आपकी स्थिति को देखते हुए आपको कुछ सुझाव दे सकते हैं, जैसे:
जीवनशैली में बदलाव:
कई बार ईडी हमारी रोजमर्रा की आदतों से बिगड़ता है, इसीलिए इलाज की शुरुआत इसी से की जाती है।
- वज़न कम करें: अधिक वजन आपके टेस्टोस्टेरोन के स्तर और सेक्स ड्राइव को कम करता है, जिससे ईडी होने का खतरा बढ़ जाता है। अपने खान पान पर ध्यान दें, और ऐसी चीजें खाएँ जिनमें नाइट्रेट की मात्रा ज्यादा हो, जैसे– चुकंदर, अनार, पालक, गाजर आदि। ये शरीर में खून के बहाव को बेहतर बनाते हैं, जिससे दिल और यौन स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बीपी नियंत्रित होता है।
- नियमित एक्सरसाइज करें: एक्सरसाइज़, खासतौर पर कीगल (पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज) इरेक्शन के लिए ज़िम्मेदार मांसपेशियों को मजबूत करती हैं, जो उम्र या शारीरिक रूप से एक्टिव न होने पर कमज़ोर हो जाती हैं। इन एक्सरसाइजेस से खून का बहाव बेहतर होता है, और इरेक्शन बनाए रखने में आसानी होती है।
एक अध्ययन के अनुसार, हर हफ्ते कम से कम 160 मिनट तक (चार दिन में 40 मिनट) मॉडरेट से लेकर तेज़ गति की एरोबिक एक्सरसाइज़ करने से ईडी की समस्या में सुधार देखा गया, खासकर उन पुरुषों में जिन्हें मोटापा, हाई बीपी, हृदय रोग या शारीरिक निष्क्रियता के कारण ईडी है। नियमित रूप से 6 महीने तक ऐसा करने से यौन प्रदर्शन में स्पष्ट सुधार पाया गया [9]।
- सिगरेट/शराब से दूरी बनाएं:
अधिक शराब या सिगरेट पीने से नसों में खिंचाव और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पर असर पड़ता है जिससे खून के बहाव में कमी आती है और इरेक्शन आने में दिक्कतें आती हैं। जैसे ही आप इन्हें छोड़ते हैं, आपकी नसों की काम करने की क्षमता सुधरने लगती है।
- तनाव और मानसिक दबाव कम करें:
ज़्यादा चिंता, बेचैनी और डिप्रेशन से दिमाग और शरीर की सेक्स के लिए प्रतिक्रिया कमज़ोर हो जाती है। मेडिटेशन, प्राणायाम और ज़रूरत पड़े तो थेरेपी से मदद मिल सकती है।
- नींद पूरी लें:
अगर आप रोजाना 7–8 घंटे की नींद नहीं ले रहे हैं, तो इस बात पर ध्यान दीजिए। नींद पूरी न होने से शरीर में तनाव का स्तर बढ़ने और टेस्टोस्टेरोन का स्तर घटने लगता है और ये दोनों ही ईडी के बड़े कारणों में से एक हैं [10]।
- पार्टनर से खुलकर बात करें:
अपने पार्टनर को सारी बातें समझाएं– आप कैसा महसूस कर रहे हैं, क्या आपकी ये चिंता आपके प्रदर्शन को लेकर है या आप किसी तनाव या बीमारी से जूझ रहे हैं। और पार्टनर को भी चाहिए कि वो आपकी बातों को समझें और सहजता से ले जिससे आप दोनों मिलकर इस समस्या से उबर सकें।
- विटामिन डी की भूमिका:
कई बार हमें पता भी नहीं चलता कि विटामिन D की कमी भी इरेक्शन में दिक्कत की एक वजह हो सकती है। एक नई रिसर्च के अनुसार, ये विटामिन शरीर में खून के बहाव और नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को ठीक रखता है, जो अच्छी इरेक्शन के लिए जरूरी है। तो अगर इसकी कमी हो तो डॉक्टर की सलाह से जांच कराना और इसके सप्लीमेंट्स लेना फायदेमंद हो सकता है। लेकिन याद रखें, यह अकेला इलाज नहीं हो सकता [11]।
सेक्स थेरेपी:
अगर ईडी का कारण तनाव, चिंता या सेक्स को लेकर डर है, तो सेक्स थेरेपी बहुत फायदेमंद हो सकती है। यह एक तरह की काउंसलिंग होती है जिसमें एक प्रशिक्षित सेक्स थेरेपिस्ट आपकी सोच, भावनाओं और अनुभवों को समझने में मदद करता है। रिसर्च से साबित है कि जब वजह मानसिक हो, तो सेक्स थेरेपी दवाओं से भी ज्यादा असर कर सकती है [12]। थेरेपी से आपको:
- सेक्स से जुड़ी घबराहट और डर को समझने और उसे कम करने में मदद मिलती है
- आत्मविश्वास लौटता है
- पार्टनर से बातचीत और तालमेल बेहतर होता है
- मानसिक तनाव की वजह से होने वाली ईडी में सुधार आता है
दवाईयां:
ईडी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली दवाईयां हैं–
- PDE5 Inhibitors, जैसे– Sildenafil (वायग्रा), Tadalafil, Vardenafil आदि। ये दवाएं खून के बहाव को बढ़ाकर इरेक्शन को बेहतर बनाती हैं [14]
- टेस्टोस्टेरोन थेरपी: जब ईडी का कारण टेस्टोस्टेरोन की कमी हो, तो डॉक्टर्स टेस्टोस्टेरोन की दवा भी बाकी दवाओं के साथ देते हैं। यह दवा गोली, जेल या पैच के रूप में मिलती है।
अन्य विकल्प:
अगर वायग्रा और टेस्टोस्टेरोन जैसी दवाएं भी काम नहीं कर रहीं हैं, तो यहाँ कुछ एडवांस्ड इलाज के विकल्पों के बारे में भी बताया गया है। लेकिन ध्यान रखें कि यहां बताए गए सभी उपचार विकल्प केवल डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही अपनाने चाहिए। बिना परामर्श के किसी भी दवा, डिवाइस या सर्जरी का उपयोग करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- इंजेक्शन और सपोजिटरी: ये दवाएं सीधे लिंग में डाली जाती हैं और तुरंत इरेक्शन लाने में मदद करती हैं।
- वैक्यूम इरेक्टाइल डिवाइस: यह मशीन लिंग में खून का बहाव बढ़ाकर इरेक्शन लाने में मदद करती है, और रिंग से उसे बनाए रखती है।
- सर्जरी: जब बाकी के उपाय न असर कर रहे हों, तब पेनाइल इंप्लांट या खून का बहाव बढ़ाने की सर्जरी भी एक विकल्प हो सकती है।
- आयुर्वेदिक, हर्बल दवाएं / सप्लीमेंट्स: इनका उपयोग करने से पहले हमेशा डॉक्टर से राय लें, क्योंकि ये अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं, और आपको नुकसान पहुँचा सकते हैं।
ईडी को लेकर फैले मिथक और उनकी सच्चाई:
- ईडी सिर्फ बुजुर्गों को होता है।
उम्र के साथ शरीर में कुछ बदलाव आते ज़रूर हैं, लेकिन ईडी केवल बुजुर्गों को ही नहीं होता। रिसर्च बताती है कि हर 4 में से 1 मरीज़ 40 साल से कम का होता है। यहाँ तक कि 20 की उम्र के 15% पुरुष भी ईडी से जूझते हैं। इसीलिए, अगर आप जवान हैं, और आपको भी ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो टालिए मत।
- ईडी टाइट अंडरवियर पहनने की वजह से होता है।
टाइट कपड़े थोड़ी देर के लिए दिक्कत कर सकते हैं, लेकिन ये ईडी का मुख्य कारण नहीं होते। जब तक कोई शरीर की अंदरूनी समस्या न हो, तब तक ये ईडी को सीधे प्रभावित नहीं कर सकते।
- एक बार सेक्स में दिक्कत हुई, इसका मतलब आपको ईडी है।
कभी कभी तनाव, थकान या किसी और वजह से सेक्स में कठिनाई आ सकती है जो बहुत सामान्य बात होती है। लेकिन अगर यह बार बार हो रहा है, तो यह ईडी की तरफ इशारा करता है।
- टेस्टोस्टेरोन की गोली खाने से ईडी ठीक हो जाएगा।
टेस्टोस्टेरोन थेरेपी उन्हीं लोगों के लिए फायदेमंद होती है, जिनमें टेस्टोस्टेरोन की मात्रा सच में कम हो। और ये सिर्फ अकेले ही काफी नहीं होती, इसके साथ दूसरे इलाज की भी जरूरत होती है।
- सिर्फ दवाईयां ही ईडी को ठीक कर सकती हैं।
दवाईयां सिर्फ एक विकल्प होती हैं, अकेली उपाय नहीं। ईडी में व्यायाम, सिगरेट/शराब से दूरी बनाना, वज़न घटाना और कपल काउंसलिंग जैसे उपाय भी मदद कर सकते हैं।
