Quick Recap

सेफ सेक्स डेज़ वे खास दिन होते हैं जब महिलाओं के मासिक चक्र में गर्भधारण की संभावना सबसे कम होती है। ये दिन मासिक चक्र और ओव्यूलेशन के आधार पर अलग-अलग महिलाओं में भिन्न हो सकते हैं, इसलिए अपनी साइकिल को नियमित ट्रैक करना ज़रूरी है। मोबाइल ऐप्स मददगार तो हो सकते हैं, लेकिन पूरी सुरक्षा के लिए हमेशा प्रोटेक्शन के साथ ही इन तरीकों का उपयोग करें। सेफ सेक्स डेज़ प्रेगनेंसी रोकने का एक नैचुरल तरीका हैं, लेकिन यौन संचारित रोगों से बचाव के लिए कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है। अगर शंका हो तो डॉक्टर से सलाह लेना सबसे सुरक्षित विकल्प है।

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क्या आप जानते हैं कि महीने के कौन से दिन सेक्स करना सबसे सुरक्षित होता है बिना प्रेगनेंसी की चिंता किए? सेफ सेक्स डेज़ यानी ‘सेफ पीरियड महिलाओं के मासिक चक्र के वे खास दिन होते हैं जब प्रेग्नेंसी की संभावना सबसे कम होती है। इस लेख में आप मासिक चक्र और ओव्यूलेशन का विज्ञान समझेंगे, जानेंगे फर्टिलिटी विंडो क्या होती है, सेफ डेज़ कैसे पहचाने और फर्टाइल दिनों के बारे में पता लगाने के लिए कौन से तरीके इस्तेमाल किये जाते हैं, उनके बारे में विस्तार से जानकारियां प्राप्त करेंगे। साथ ही, जानेंगे कि ये मेथड्स कितने असरदार हैं और इन्हें कैसे और भरोसेमंद बनाया जा सकता है।

क्या होते हैं सेफ सेक्स डेज?

हर कपल चाहता है कि वो सेक्स को एंजॉय भी करे और साथ ही अनचाही प्रेग्नेंसी से भी बचे। खासकर तब, जब वो गर्भनिरोधक जैसे कंडोम या पिल्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहते। ऐसे में “सेफ सेक्स डेज़” यानी सेफ पीरियड एक नेचुरल विकल्प बन सकता है।

सेफ डेज़ मासिक चक्र के वो दिन होते हैं जब महिला के गर्भवती होने की संभावना बहुत कम मानी जाती है। ये तरीका हार्मोन-फ्री होता है, लेकिन इसके लिए अपने शरीर को समझना और ट्रैकिंग करना ज़रूरी होता है।

एक रिसर्च के मुताबिक, पीरियड्स के ठीक पहले के दिनों में प्रेग्नेंसी का रिस्क बहुत कम, करीब 10% से भी कम पाया गया है [1]। लेकिन ध्यान रखें कि ये हर महिला के लिए एक जैसा नहीं होता। शरीर में बदलाव, तनाव, या पीरियड साइकल में अनियमितता के कारण ये “सेफ” दिन हर महीने अलग हो सकते हैं। इसलिए इसको कैलकुलेट करना हर किसी के लिए 100% एक जैसा नहीं होता।

यहाँ आप समझेंगे कि सेफ सेक्स डेज़ होते क्या हैं, कैसे काम करते हैं, और कैसे आप अपने शरीर को बेहतर तरीके से समझकर प्रेग्नेंसी से नैचुरली बच सकते हैं।

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महिलाओं में मासिक चक्र, ओव्युलेशन और प्रेग्नेंसी कैसे काम करते हैं?

हर लड़की या महिला के शरीर में हर महीने कुछ बदलाव होते हैं, जिसे मासिक चक्र (menstrual cycle) कहते हैं। इसी में कभी-कभी महिला प्रेग्नेंट भी हो सकती है। आइये समझते हैं कि ऐसा कैसे होता है?

पीरियड्स का समय (दिन 1 से 7)

  • जब पीरियड्स होते हैं, तब ब्लीडिंग होती है।
  • इस समय महिला के प्रेग्नेंट होने के चांस बहुत कम होते हैं।
  • इस समय प्रेग्नेंसी की संभावना बहुत कम होती है

अंडा बनने का समय (दिन 8 से 13)

  • पीरियड्स ख़त्म होने के बाद शरीर में नया अंडा बनने लगता है 
  • ये अंडा धीरे-धीरे बाहर निकलने को तैयार होता है 
  • इस समय थोड़ा खतरा होता है, क्योंकि अंडा बनने की प्रक्रिया चल रही होती है।

ओव्यूलेशन (अंडा बाहर निकलना) – आमतौर पर दिन 14 के आसपास

  • यही वो समय होता है जब अंडा ओवरी से बाहर निकलता है, और शरीर प्रेग्नेंसी के लिए सबसे ज़्यादा तैयार होता है।
  • अगर इस समय सेक्स होता है और शुक्राणु (sperm) मौजूद हैं, तो अंडा और शुक्राणु दोनों मिल सकते  हैं और प्रेग्नेंसी हो सकती है।
  • यह सबसे असुरक्षित समय होता है।

अगर अंडा नहीं मिला (दिन 15 से 28)

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  • अगर अंडा और शुक्राणु नहीं मिले, तो अंडा टूट जाता है।
  • फिर कुछ दिन बाद पीरियड्स शुरू हो जाते हैं।
  • इस समय के आखिरी दिन भी प्रेग्नेंसी का खतरा कम माना जाता है।
  • दिन 21 से 28 तक को भी सेफ दिन माना जा सकता है।

 सुरक्षित दिनों (सेफ डेज) को कैसे पहचानें?

अगर किसी महिला का मासिक चक्र 28 दिन का है, तो ओव्यूलेशन आमतौर पर 14वें दिन होता है। लेकिन क्योंकि शुक्राणु 5-7 दिनों तक ज़िंदा रह सकते हैं, इसको ध्यान में रखते हुए, 9वें दिन से 16वें दिन तक प्रेग्नेंसी का खतरा ज़्यादा होता है। इसलिए इन दिनों असुरक्षित सेक्स से बचना चाहिए।

17वें दिन से अगले पीरियड तक के दिन आमतौर पर ‘सेफ डेज़’ माने जाते हैं, यानी इस दौरान बिना प्रोटेक्शन के सेक्स करने पर प्रेग्नेंसी की संभावना कम होती है।

लेकिन हर महिला का मासिक चक्र एक जैसा नहीं होता। किसी महिला का 25 दिन का हो सकता है, तो किसी का 32 दिन का भी हो सकता है। कभी कभी ज्यादा तनाव, किसी दवाई के साइड इफेक्ट्स की वजह से,या बीमारी से भी आपके पीरियड्स का समय बदल सकता है। इसलिए “सेफ दिन” 100% भरोसेमंद तरीका नहीं है।

क्या आप जानते हैं कि सिर्फ 12.4% महिलाओं के चक्र असल में 28 दिन के होते हैं।  87% महिलाएं 23–35 दिनों के बीच के चक्र अनुभव करती हैं [2]। इसका मतलब यह है कि ‘सेफ डेज़’ पहचानने के लिए हर महिला को अपनी साइकिल को खुद समझना ज़रूरी है, न कि सिर्फ सामान्य 28-दिन के फॉर्मूले पर भरोसा करना।

पीरियड के आसपास सेक्स करने से प्रेग्नेंसी हो सकती है क्या?

अक्सर लोग मानते हैं कि पीरियड के दौरान या उसके ठीक बाद सेक्स करने से प्रेग्नेंसी नहीं होती, लेकिन ये हर बार सही नहीं होता। अगर आपकी साइकिल छोटी है (जैसे 24–26 दिन), तो ओव्यूलेशन जल्दी हो सकता है। ऐसे में पीरियड खत्म होते ही अगर सेक्स हुआ और स्पर्म 4–5 दिन तक ज़िंदा रहे, तो अंडे से मिलकर प्रेग्नेंसी की वजह बन सकते हैं।

पीरियड से ठीक पहले आमतौर पर ओव्यूलेशन खत्म हो चुका होता है, इसलिए उस वक्त प्रेगनेंसी के चांस कम ज़रूर होते हैं, लेकिन एकदम जीरो नहीं।

यही वजह है कि सेफ डेज़ या फर्टाइल विंडो को सही से पहचानना ज़रूरी है। 

फर्टिलिटी विंडो क्या होती है?

महिलाओं के शरीर में हर महीने कुछ दिन ऐसे होते हैं जब उनके प्रेग्नेंट होने के चांस सबसे ज़्यादा होते हैं। इस समय को “फर्टिलिटी विंडो” कहा जाता है। यह समय ओव्यूलेशन (यानि जब अंडा निकलता है) के आसपास का होता है। अगर कोई कपल (जोड़ा) इस समय के दौरान सेक्स करता है और कोई सुरक्षा उपाय (जैसे कंडोम या गर्भनिरोधक गोली) इस्तेमाल नहीं करता, तो प्रेग्नेंसी के चांस बहुत बढ़ जाते हैं।

यह ओव्यूलेशन से 5 दिन पहले से लेकर ओव्यूलेशन के अगले दिन तक रहती है यानि कुल 6-7 दिनों का समय ऐसा होता है जब प्रेग्नेंट होने के चान्सेस ज्यादा होते हैं [3]। 

 ऐसा क्यों होता है?

अब आपके मन में ये सवाल तो ज़रूर आ रहा होगा कि आखिर इन्ही दिनों प्रेगनेंसी के चान्सेस ज्यादा क्यों होते हैं, और बाकी दिन क्यों नहीं होते? तो ऐसा इसलिए क्योंकि जो शुक्राणु (sperms) होते हैं, वो महिला के शरीर में 5 दिन तक ज़िंदा रह सकते हैं, और जो महिला के शरीर से अंडा निकलता है, वो केवल 12-24 घंटे ही ज़िंदा रहता है। तो अगर इस छोटी सी विंडो में अगर शुक्राणु मौजूद हों, तो प्रेगनेंसी हो सकती है।

मोबाइल ऐप्स से ओव्युलेशन ट्रैक करना कितना भरोसेमंद है?

आजकल कई महिलाएं अपने मासिक चक्र और फर्टाइल दिनों को ट्रैक करने के लिए मोबाइल ऐप्स का सहारा लेती हैं। ये ऐप्स फर्टिलिटी विंडो को समझने में मदद तो करते हैं, लेकिन इन्हें एकमात्र गर्भनिरोधक उपाय के रूप में इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं माना जाता। एक अध्ययन के अनुसार, जिन महिलाओं ने केवल मोबाइल ऐप्स और फर्टिलिटी कैलेंडर पर भरोसा किया, उनमें से 50% को अनचाही प्रेग्नेंसी का अनुभव हुआ [4]। इसका कारण यह है कि इन ऐप्स में हार्मोनल बदलाव या अनियमित पीरियड्स जैसे व्यक्तिगत पहलुओं को पूरी तरह से ध्यान में नहीं रखा जा सकता। इसलिए हम सलाह देते हैं कि केवल ऐप्स पर निर्भर न रहें और इनके साथ-साथ अन्य विश्वसनीय गर्भनिरोधक तरीकों जैसे कंडोम या डॉक्टर की सलाह से कोई लॉन्ग-टर्म मेथड भी अपनाएं।

 

“सेफ सेक्स डेज़ के बारे में जानकारी होना आपकी सेहत और जिम्मेदारी का हिस्सा है। यह सिर्फ गर्भधारण रोकने के लिए नहीं, बल्कि अपने शरीर को बेहतर समझने का भी एक तरीका है। अगर कोई शंका हो तो बिना हिचक पूछें।”

फर्टाइल दिनों का पता लगाने के तरीके और इनको ज़्यादा असरदार कैसे बना सकते हैं?

फर्टिलिटी अवेयरनेस मेथड्स (FAMs) यानी अपने शरीर के इशारों को समझकर यह पता लगाना कि कौन-से दिन प्रेग्नेंसी के लिए सबसे ज्यादा फर्टाइल होते हैं। इसमें आप कुछ आसान चीज़ें ट्रैक करते हैं, जैसे पीरियड्स की डेट्स, योनि से निकलने वाला म्यूकस (जो ओव्युलेशन के पास बिलकुल कच्चे अंडे की सफेदी जैसा हो जाता है) [5], और सुबह उठते ही शरीर का तापमान (जो ओव्युलेशन के बाद थोड़ा बढ़ जाता है)। अगर आपकी साइकिल 26 से 32 दिन की है और आप ये सब रोज़ ठीक से ट्रैक करें, तो ये तरीके 77% से 98% तक असरदार हो सकते हैं [6]। लेकिन ये तभी अच्छे से काम करते हैं जब आप इन्हें हमेशा और ध्यान से फॉलो करें। आप चाहें तो एक से ज़्यादा तरीके साथ में यूज़ कर सकते हैं, ताकि ज़्यादा पक्का अंदाज़ा लगे। और अगर कभी कन्फ्यूजन हो, तो किसी अच्छे डॉक्टर या काउंसलर से मदद लेना अच्छा रहेगा। ध्यान रखें, अगर प्रेग्नेंसी बिल्कुल नहीं चाहिए, तो इन नेचुरल तरीकों के साथ कंडोम जैसी कोई और सेफ्टी ज़रूर रखें।

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