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कीगल एक्सरसाइज पेल्विक फ्लोर की मसल्स को मजबूत करने का आसान तरीका है. ये मूत्र और मल के नियंत्रण में मदद करते हैं और पुरुषों में यौन स्वास्थ्य सुधार सकते हैं। महिलाओं के लिए ये गर्भावस्था और जन्म के बाद मसल्स को मजबूत रखने और पेल्विक अंगों के ढीले होने का खतरा कम करने में मदद करते हैं। इन्हें सही तरीके से रोज़ाना करने पर 1-3 महीने में असर दिख सकता है। प्रकटीसे करते समय कमर, पेट और जांघों को आराम दें और यदि आप सही तकनीक नहीं जानते हैं तो डॉक्टर या फिजियोथेरपिस्ट से सलाह लें, वरना इनके साइड एफेक्ट्स हो सकते हैं। लगातार करने से पेल्विक स्वास्थ्य बेहतर होता है और मूत्र, मल और यौन स्वास्थ्य में सुधार आता है.

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आज की तेज़ और व्यस्त लाइफस्टाइल में हम अक्सर अपने शरीर की छोटी-छोटी ज़रूरतों पर ध्यान नहीं देते। पेल्विक फ्लोर मसल्स भी उन्हीं में से एक हैं, जो मूत्राशय (bladder), आंत (Bowel) और प्रजनन अंगों  (Reproductive Organs) को सहारा देती हैं। समय के साथ, गलत आदतों, सर्जरी और उम्र बढ़ने के कारण ये मसल्स कमजोर हो सकती हैं। इससे मूत्र को कंट्रोल करना, अंगों का नीचे खिसकना, यौन समस्याएँ और पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं।

इसीलिए कीगल एक्सरसाइज बहुत फायदेमंद मानी जाती है। यह पेल्विक फ्लोर मसल्स को मजबूत करने, मूत्र और मल पर नियंत्रण बढ़ाने और यौन स्वास्थ्य व इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में सुधार के लिए जानी जाती हैं।

इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कीगल एक्सरसाइज क्या है, इसे कैसे करना चाहिए, इसके फायदे और संभावित साइड इफेक्ट्स, ताकि आप इसे सुरक्षित और सही तरीके से कर सकें।

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क्या आप केगेल एक्सरसाइज करते हैं?
हाँ, नियमित रूप से
कभी-कभी
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कीगल एक्सरसाइज क्या है और क्यों करनी चाहिए?

कीगल एक्सरसाइज पेल्विक फ्लोर मसल्स को मजबूत करने का एक आसान लेकिन बेहद असरदार तरीका है। इसमें पेल्विक फ्लोर मसल्स को बार-बार कसने और ढीला छोड़ने की क्रिया शामिल है। इन मसल्स का काम शरीर के निचले हिस्से के अंगों जैसे की मूत्राशय (Bladder), आंत (Bowel) और प्रजनन अंगों (Reproductive Organs)  को सहारा देना और उनके सही कार्य में मदद करना है। इस एक्सरसाइज का नाम डॉक्टर अर्नोल्ड कीगल के नाम पर रखा गया, जिन्होंने 1948 में इसे लिए सुझाया था। इसे पुरुष और महिलाएँ दोनों कर सकते हैं। खासतौर पर पुरुषों में यह इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunction) यानी लिंग उत्तेजना बनाए रखने की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है।

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कीगल एक्सरसाइज कैसे करें?

हर व्यायाम को सही तरीके से करना ज़रूरी होता है, वरना उसके फायदे पूरी तरह नहीं मिलते। कीगल भी उन्हीं में से एक है। इसे करने का सही तरीका और आपकी ज़रूरत के हिसाब से कितनी बार करना है, यह डॉक्टर आपको बेहतर बताएंगे। नीचे स्टेप-बाय-स्टेप बताया गया है कि इसे सही तरीके से कैसे किया जाए: [1]

ब्लैडर खाली करें

सबसे पहले पेशाब करके मूत्राशय खाली कर लें। भरे ब्लैडर पर यह व्यायाम करने से असुविधा हो सकती है।

सही मांसपेशियाँ पहचानें

सही मसल्स पहचानना सबसे ज़रूरी है। ऐसा करने के लिए: [2]

  • पुरुष अपनी मलाशय (rectum) में उंगली डालकर देख सकते हैं। अगर कसाव महसूस हो, तो वही सही मांसपेशियाँ हैं।
  • महिलाएँ योनि (vagina) में उंगली डालकर कसाव पहचान सकती हैं।
  • एक आसान तरीका है गैस रोकने वाली मसल्स को सिकोड़ना, ये भी पेल्विक फ्लोर मसल्स ही हैं।

 ध्यान रखें: बार-बार पेशाब रोककर टेस्ट न करें, इससे मूत्र संबंधी समस्या हो सकती है।

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सही पोजीशन लें

पहली बार करने के लिए ओर शुरुआती लोग लेटकर शुरू करें, फिर धीरे-धीरे बैठकर और खड़े होकर भी करें।

मांसपेशियाँ सिकोड़ें

पेल्विक फ्लोर मसल्स को 3 से 5 सेकंड तक कसें। पेट, जांघ और कमर की मसल्स को ढीला रखें।

आराम करें

 अब मसल्स को ढीला छोड़ दें और 3 से 5 सेकंड तक रिलैक्स करें।

दोहराएँ

शुरुआत में 10 बार दोहराएँ और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 15 से 20 बार तक ले जाएँ।

रूटीन बनाएँ

दिन में कम से कम 2 से 3 सेट करें। एक सेट लेटकर, एक बैठकर और एक खड़े होकर किया जा सकता है।

भारतीय पुरुष द्वारा स्टेप बाय स्टेप kegel exercise in hindi करते हुए—ब्लैडर खाली करना, सही मांसपेशियाँ पहचानना, योगा मैट पर लेटना और ध्यान मुद्रा में बैठकर अभ्यास करना।

कीगल एक्सरसाइज के फायदे

पेल्विक फ्लोर को मजबूत करने वाले इस व्यायाम के कई ऐसे फायदे हैं, जो शरीर और यौन स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करते हैं।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन में मददगार

पेल्विक फ्लोर मसल्स लिंग में खून के बहाव को कंट्रोल करती हैं। इन्हें मजबूत करने से इरेक्शन ज्यादा देर तक कायम रहता है।

एक स्टडी में पाया कि पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करने वाले पुरुषों में से 40 प्रतिशत ने नॉर्मल इरेक्टाइल फ़ंक्शन फिर से हासिल किया और 33.5 प्रतिशत ने अपनी इरेक्शन स्टामिना में महत्वपूर्ण सुधार देखा। इस अध्ययन में कुल 55 पुरुषों पर रिसर्च की गई, जिन्होंने 6 महीनों से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का अनुभव किया था। [3]

शीघ्रपतन में मदद 

यह व्यायाम पुरुषों को जल्दी स्पर्म निकलने यानि शीघ्रपतन पर नियंत्रण देता है, जिससे यौन संतुष्टि बढ़ती है। एक स्टडी में पाया गया कि 12-सप्ताह के ट्रायल में कीगल एक्सरसाइज करने वाले पुरुषों में शीघ्रपतन (जल्दी स्पर्म निकलने) पर नियंत्रण और यौन जीवन की कवालिटी में सुधार हुआ। [4] 

गर्भावस्था और प्रसव में डिलीवेरी

महिलाओं के लिए यह व्यायाम गर्भावस्था में अंगों को सहारा देता है और डिलीवेरी के बाद रिकवरी तेज करता है। [5]

मूत्र असंयम में सुधार 

हँसते, छींकते या उठते समय पेशाब का एकदम से होने की समस्या भी इस एक्सरसाइज से काफी कम हो जाता है।

एक स्टडी में पाया गया कि अगर कीगल एक्सरसाइज को किसी प्रोफेशनल की मदद के साथ किया जाए तो यह महिलाओं में यूरिन के लीक (स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस) होने की समस्या को सुधारता है। 12 हफ्तों की इस स्टडी में, डॉक्टर की सलाह से कीगल एक्सरसाइज करने वाले ग्रुप में यूरिन टपकने की आवृत्ति और गंभीरता दोनों में कमी देखी गई। इससे पता चलता है कि सही तरीका और मार्गदर्शन के साथ कीगल एक्सरसाइज करना मूत्र नियंत्रण के लिए सबसे असरदार है। [6]

पेल्विक अंगों को सहारा

कीगल एक्सरसाइज पेल्विक फ्लोर मसल्स को मज़बूत बनाती है। ये मसल्स अंगों को सहारा देती हैं, जिससे गर्भाशय, मूत्राशय या आंत जैसे अंग नीचे खिसकने की समस्या (पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स) होने के चांस कम हो सकते हैं। [7]

बढ़ती उम्र में सहारा

यह व्यायाम उम्र के साथ कमजोर होती मसल्स को मजबूत करके जीवन की कवालिटी बेहतर बनाता है। [8]

ज़्यादा या गलत तरीके से कीगल एक्सरसाइज करने के साइड इफेक्ट्स

हर अच्छी चीज़ की तरह, अगर इसे ज़रूरत से ज़्यादा या गलत तरीके से किया जाए तो नुकसान भी हो सकता है।

पेल्विक मसल्स में स्ट्रेन

बार-बार कसने से दर्द या खिंचाव हो सकता है। एक बार सही तरीके से सीखने के बाद इन्हें पेशाब करते समय बार-बार नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पेल्विक फ्लोर मसल्स कमजोर हो सकती हैं और ब्लैडर या किडनी पर असर पड़ सकता है। [8] 

मूत्र संबंधी दिक्कतें

लगातार पेशाब रोककर प्रैक्टिस करने से ब्लैडर और किडनी पर दबाव पड़ सकता है। [8] 

पुरुषों में दर्द

बार-बार गलत तरीके से करने पर पेशाब या मल त्याग के दौरान दर्द महसूस हो सकता है।

महिलाओं में कसाव बढ़ना

जरूरत से ज्यादा कसाव सेक्स के दौरान दर्द और अनकंफर्टेबल कर सकता है। [8] 

गलत मसल्स का उपयोग

कई लोग पेल्विक फ्लोर की बजाय गलत मसल्स टाइट कर लेते हैं, जिससे वास्तविक फायदा नहीं मिलता और उल्टा थकान हो जाती है।

इसलिए ज़रूरी है कि इसे बैलेन्स्ड मात्रा में और डॉक्टर की गाइडेंस के साथ ही करना चाहिए।

निष्कर्ष

कीगल एक्सरसाइज पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए फायदेमंद है। यह न केवल यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है बल्कि मूत्र असंयम और पेल्विक अंगों से जुड़ी समस्याओं को भी कम करती है। हालांकि, इसे सही तरीके और संतुलित मात्रा में करना बहुत ज़रूरी है। गलत तरीके से या ज़रूरत से ज्यादा करने पर दर्द और असहजता हो सकती है। इसलिए, बेहतर होगा कि आप डॉक्टर की गाइडेंस में शुरू करें और धीरे-धीरे अपनी क्षमता के अनुसार रूटीन बनाएं। नियमित और सही अभ्यास से यह आपकी सेहत और जीवन की गुणवत्ता दोनों को लंबे समय तक सपोर्ट करेगा।

 

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Disclaimer

"निम्नलिखित ब्लॉग लेख सामान्य स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए व्यायाम और इसके संभावित लाभों पर चर्चा करता है। हालांकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे व्यक्तिगत व्यायाम सलाह या किसी योग्य फिटनेस पेशेवर या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से पेशेवर मार्गदर्शन का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी व्यायाम कार्यक्रम को शुरू करने या संशोधित करने से पहले, एक योग्य फिटनेस पेशेवर से परामर्श करने की सिफारिश की जाती है।

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इस लेख में प्रस्तुत जानकारी हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है, क्योंकि व्यक्तिगत फिटनेस स्तर, स्वास्थ्य स्थितियां और सीमाएं काफी भिन्न हो सकती हैं। एक योग्य फिटनेस पेशेवर आपकी विशिष्ट फिटनेस आवश्यकताओं का आकलन कर सकता है, किसी भी चिकित्सा संबंधी चिंताओं या सीमाओं पर विचार कर सकता है, और वैयक्तिकृत सिफारिशें और व्यायाम योजनाएं प्रदान कर सकता है जो आपके लिए सुरक्षित और प्रभावी हैं।

व्यायाम सहित शारीरिक गतिविधि में भाग लेने से अंतर्निहित जोखिम होते हैं। अपने शरीर की बात सुनना, अपनी व्यक्तिगत सीमा के भीतर व्यायाम करना और असुविधा या संभावित चोट के किसी भी लक्षण के प्रति सचेत रहना महत्वपूर्ण है। यदि आपको व्यायाम के दौरान कोई दर्द, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ या अन्य संबंधित लक्षणों का अनुभव होता है, तो तुरंत रुकना और यदि आवश्यक हो तो चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है।

इस लेख में उल्लेखित व्यायाम या गतिविधि विशिष्ट चिकित्सा स्थितियों, चोटों या शारीरिक सीमाओं वाले व्यक्तियों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती हैं।"

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